रश्मि वैभव गर्ग II हर पतंग नील गगन से कुछ कहती है…किसी पतंग के कटने से कहां अंबर झुका हैकिसी...
कविता
वो शक्ति थी
अभिषेक कुमार II वो शक्ति थी ,(या ) सौंदर्य थी,सहज थी,(या ) सरल थी,संपन्न थी,(या) संपूर्ण थी ।। मैं...
पूर्व पति की पत्नी को एक पत्र
सिंहली कवि शशिक सदीप II औरतें चाहतीं हैं एक ही सीने पर सोनावहीं सीने पर ही जी-जी के मरनाप्यार की एक...
तुम मेरी कविताओं में आओगे
राकेश धर द्विवेदी II जब रात चांदनी रो-रोकरकोई गीत नया सुनाएगी,ओस की बूंद बन करधरती पर वह छा...
अस्सी घाट का छोटू
सुगंधि कुलसिंघे II सब कहते हैं किछोटू तू बड़ा कमीना निकला,जब देखता हूंतब गोरियों को हीचाय बेचता है...
जब समय पृथ्वी बन जाता है…
गजानन माधव मुक्तिबोध II विचार आते हैं-लिखते समय नहीं,बोझ ढोते वक्त पीठ परसिर पर उठाते समय...
दुर्दिन में आंसू बन कर वह आज बरसने आई।
जयशंकर प्रसाद II अवकाश भला है किस को,सुनने को करुण कथाएंबेसुध जो अपने सुख सेजिनकी हैं सुप्त कथाएं...
प्रेम
डॉ. सांत्वना श्रीकांत II कुछ घटित हुआ होगाकिंतु यह परिभाषित नहीजो अंकित है पाषाण मेंलिपिबद्ध भी कई...
देखो, चिड़ियों का आना देखो
वंदना सहाय II रख मुट्ठी भर दाना देखोऔर चिड़ियों का आना देखो।चीं-चीं और खाऊं-खाऊंदाना छोड़ कहीं ना...
दिवाली आई, चारों ओर खुशहाली छाई
सांवर अग्रवाल II दिवाली आई दिवाली आईचारों ओर खुशहाली छाई,मुन्नू चुन्नू चहके हैं,नभ में सितारे चमके...
मन में उजियारे के लिए जलाओ मंगलदीप
राकेश धर द्विवेदी II मंगलदीप जलाओअंतस में जो फैले अंधियारेउसको दूर भगाओमंगलदीप जलाओ।हर साल मरता है...
दर्द उठे तो सूने पथ पर चलते जाना
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना हंसा जोर से जब, तब दुनियाबोली इसका पेट भरा है और फूट कर रोया जबतब बोली नाटक...