तू मेरे इश्क की इबारत हैतू इसे पढ़ न पाई है रात रो रो कर हमने काटी हैदुख में कोई अब न साथी है चांद...
कविता
दूर कहीं गूंज उठी शहनाई है
राकेश धर द्विवेदी II रात रो-रोकर कटी है कहीं पर,कहीं सुबह हो रही विदाई है। किसी के अरमानों का गला...
आइए ले चलूं कंक्रीट के जंगल में
राकेश धर द्विवेदी II आइए ले चलूं आपकोकंक्रीट के उस जंगल मेंजहां आप महसूस करेंगेभौतिकता के ताप...
पलाश
डॉ. सांत्वना श्रीकांत II बीते हुए बसंत की याद में…निर्जन वन की तरह हीमेरी पीठ पर दहकते पलाश के...
प्रेम और नमक
डॉ. सांत्वना श्रीकांत II प्रेम और नमकरूपक हैंदोनों का उपयोग किया गयाज़रूरत के हिसाब...
आपकी ये खामोशियां
राकेश धर द्विवेदी II बहुत कुछ हमसे कह गईंआपकी ये खामोशियां…दिल में आकर उतर गईंआपकी ये...
सब कुछ
सदानंद शाही II सब कुछ खत्म होने के बाद भीसब कुछ बचा रह जाता हैसब कुछ के इन्तजार में हम सब कुछ खत्म...
तरु तुम केवल समझ सके हो मेरे मन की पीर
प्रीति कर्ण II सूखी नदियाँ सूखे सागरदुख भरता नित मन की गागरतरल विकल जीवन धारा मेंद्रावकता मन बांध न...
जो तुम आ जाते एक बार
अश्रुतपूर्वा II जो तुम आ जाते एक बारकितनी करुणा कितने संदेशपथ में बिछ जाते बन परागगाता प्राणों का...
जब कभी पूर्व प्रेमिका से मिलना
अमनदीप गुजराल II जब कभी पूर्व प्रेमिका से मिलनाउसे महसूस मत होने देनाअपना अकेलापन… न ही जताना...
चाँद की चिकोटी
ऊर्वशी घनश्याम II कच्ची पक्की पगडंडियांहुलस के गले मिलीराह चलतेढेरों बातेंसर्द तल्खियांदांतों तले...
मन पलाश
प्रीति शर्मा II पीत कुसुम के कुण्डल धारे, अल्हड़ कोंपल शरमाई।पीली सरसों पायल पहने, लगती नर्तित...