अमनदीप गुजराल II
जब कभी पूर्व प्रेमिका से मिलना
उसे महसूस मत होने देना
अपना अकेलापन…
न ही जताना अपनी बेरुखी
उसके नासूरों को
छेड़ना मत…
अपनी किसी बात से यह अहसास
मत होने देना
कि उसने गलती की प्यार करके…
उसे बताना कि
उसने नहीं की थी गलती
कदम वापस खींच कर,
उसने तो सिर्फ लाज रखी थी
अपने पिता की मूंछों
मां के आंचल की….
उसे भरोसा देना कि बेटी चाहता हूं
पूरी की पूरी तुम्हारी तरह…
धमकाने की तो सपने में भी मत सोचना
लौटा देना उसकी लिखी
सारी चिठ्ठियां
न कर सको तो
बहा आना किसी नदी में…
हर दस्तावेज सुरक्षित है नदी के पास
उसने संभाल रखे हैं तुम्हारी प्रेमिका के आंसू
कुछ ऐसा करना कि
बना रहे उसका प्यार पर विश्वास…
वह कभी न रोके अपने बच्चों को
प्यार करने से…।