कविता काव्य कौमुदी

जब कभी पूर्व प्रेमिका से मिलना

अमनदीप गुजराल II

जब कभी पूर्व प्रेमिका से मिलना
उसे महसूस मत होने देना
अपना अकेलापन…

न ही जताना अपनी बेरुखी
उसके नासूरों को
छेड़ना मत…

अपनी किसी बात से यह अहसास
मत होने देना
कि उसने गलती की प्यार करके…

उसे बताना कि
उसने नहीं की थी गलती
कदम वापस खींच कर,
उसने तो सिर्फ लाज रखी थी
अपने पिता की मूंछों
मां के आंचल की….

उसे भरोसा देना कि बेटी चाहता हूं
पूरी की पूरी तुम्हारी तरह…

धमकाने की तो सपने में भी मत सोचना
लौटा देना उसकी लिखी
सारी चिठ्ठियां
न कर सको तो
बहा आना किसी नदी में…

हर दस्तावेज सुरक्षित है नदी के पास
उसने संभाल रखे हैं तुम्हारी प्रेमिका के आंसू
कुछ ऐसा करना कि
बना रहे उसका प्यार पर विश्वास…
वह कभी न रोके अपने बच्चों को
प्यार करने से…।

About the author

Amandeep Gujral

अमनदीप गुजराल
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में जन्मी अमनदीप गुजराल ‘विम्मी’ की प्रारंभिक शिक्षा बालको (छत्तीसगढ़) के केंद्रीय विद्यालय में हुई। लिखने का क्रम आठवीं कक्षा से शुरू हुआ, जो प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं एवं साझा काव्य संकलनों से गुजरता हुआ संग्रह (ठहरना जरूरी है प्रेम में) के रुप में सामने आया है। वे कहानियां भी लिखती हैं। एमकॉम तक शिक्षा प्राप्त अमनदीप नवी-मुंबई में निवास करती हैं। लेखन उनके लिए उम्मीद की किरण है। श्रद्धा है, एक सतत प्रयास है।

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