सभा-संगोष्ठी

नटी बिनोदनी का हिंदी में मंचन

कोलकाता। नाटक ‘नटी बिनोदिनी’ का ऐतिहासिक मंचन युनिवर्सल लिटिल थिएटर ने पिछले दिनों कोलकाता गिरीश मंच में किया। इस दौरान बड़ी संख्या में दर्शक उपस्थित थे।
नाटक की कथा १९ वीं शताब्दी के समय नाटक के अस्तित्व को बचाए रखने की लड़ाई के लिए विख्यात गिरीश घोष और उनकी प्राण प्रिय शिष्या बिनोदिनी दासी की है। यह एक जीवन कथा पर ही आधारित है। जिसे निर्देशक प्रताप जायसवाल ने स्वयं रूपांतरित किया।
‘नटी बिनोदिनी’ बंगाल की एक सदाबहार यात्रा और नाटक के रूप में विख्यात कृति है। इसका मंचन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा भी अन्य स्वरूप में अस्सी के दशक में हिंदी में किया गया था। पूर्वी भारत में संभवतः इसके हिंदी मंचन का पहला और अत्यंत हृदयग्राही सफलतम प्रयास है।
प्रताप जायसवाल ने अपने कुशल निर्देशन के साथ गिरीश घोष की भूमिका में अभिनय कर चरित्र को साकार कर दिया।
बिनोदिनी दासी की भूमिका को आलोकपर्णा गुहा ने प्राणवंत किया। अंतिम दृश्य में लिखित गीत ने नाटक के कथ्य को समसामयिक समस्या के साथ जोड़ा। उमा जायसवाल ने सूरत की भूमिका स्वाभाविक और प्रभावशाली ढंग से निभाई। ठाकुर और गुरुमुख की भूमिका में अखिलेश एवं खुर्शीद ने अपनी अमिट छाप छोड़ी।
नाटक के हर पात्र ने अपना चरित्र बखूबी जिया और इसके अलावा सभी कलाकारों ने सच्चे नाट्य कर्मी के रूप में स्वयं को प्रस्तुत किया।
दिनेश पोद्दार की प्रकाश व्यवस्था ने नाटक को गति दी।
अंत में यूनिवर्सल लिटिल थियेटर ने साहित्यिक संस्था ‘वाराही’ की अध्यक्ष नीता अनामिका को इस नाटक प्रति उनके सहयोग और समर्थन के लिए सम्मानित किया।

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Ashrut Purva

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