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आखिर पुरुषों की कौन सुनेगा?

अश्रुतपूर्वा.कॉम

रिपब्लिक भारत टीवी चैनल पर मानव शर्मा आत्महत्या मामले पर चर्चा के दौरान सोशल एक्टिविस्ट डॉ. सांत्वना श्रीकांत ने कहा कि देश में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता (मेंटल हेल्थ अवेयरनेस) की भारी कमी है। 95% लोग अपनी समस्याएँ किसी से साझा नहीं कर पाते, जिससे वे गहरे मानसिक तनाव और अवसाद (डिप्रेशन) का शिकार हो जाते हैं। उन्होंने इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए काउंसलिंग सेंटर्स की आवश्यकता पर जोर दिया।
डॉ. सांत्वना ने महिला केंद्रित कानूनों (Women-Centric Laws) के दुरुपयोग पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि “महिला सुरक्षा कानूनों का उद्देश्य रक्षण होना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से, कई महिलाओं ने इन्हें हथियार के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत में मेंटल हेल्थ अवेयरनेस बेहद कम है। लोग एंग्जायटी और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, लेकिन इस पर खुलकर बात करने से कतराते हैं। समाज में इस विषय को लेकर संवेदनशीलता और जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।
क्या विवाह संस्था खतरे में है?
आज के समय में विवाह (Marriage Institution) का स्वरूप बदलता जा रहा है। पहले विवाह को एक सामाजिक, सांस्कृतिक और नैतिक बंधन के रूप में देखा जाता था, जिसमें त्याग, समर्पण और सहनशीलता मुख्य आधार होते थे। लेकिन वर्तमान में, स्वतंत्रता और अधिकारों की अतिवादी सोच ने विवाह को मात्र एक अनुबंध बना दिया है, जहाँ किसी भी पक्ष द्वारा असंतोष होने पर इसे तोड़ देना आसान हो गया है।
महिला सशक्तिकरण के नाम पर बनाए गए कई कानूनों का दुरुपयोग हो रहा है, जिससे विवाह संस्था कमजोर पड़ रही है। झूठे दहेज उत्पीड़न (498A), घरेलू हिंसा और बलात्कार के आरोपों का गलत इस्तेमाल देखा गया है, जिससे कई निर्दोष पुरुष मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं। कानूनों का उद्देश्य सुरक्षा होना चाहिए, न कि असंतुलन पैदा करना।
विवाह संस्था को बचाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान देना आवश्यक है:

  • वैवाहिक जीवन के प्रति मानसिक तैयारी – शादी सिर्फ एक सामाजिक परंपरा नहीं, बल्कि भावनात्मक और मानसिक जिम्मेदारी भी है। इसे निभाने के लिए दोनों पक्षों को समर्पण और परस्पर सम्मान की भावना रखनी होगी।
  • कानूनी संतुलन – कानूनों में महिला और पुरुष दोनों के अधिकारों की समान सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए, ताकि किसी एक पक्ष का शोषण न हो।
  • काउंसलिंग और मध्यस्थता – विवाह संबंधी विवादों में कानूनी लड़ाई से पहले काउंसलिंग और मध्यस्थता (Mediation) की अनिवार्यता होनी चाहिए, जिससे रिश्ते बचाने की कोशिश की जा सके।
  • झूठे आरोपों पर सख्ती – झूठे मुकदमों पर कड़ी सजा का प्रावधान होना चाहिए, ताकि कानून का दुरुपयोग न हो।

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Ashrut Purva

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