अश्रुतपूर्वा संवाद ।
महिला सशक्तिकरण के महत्व पर जोर देते हुए भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि समाज के लोगों को जगाने के लिए, महिलाओं का जागृत होना जरूरी है।
अश्रुतपूर्वा की संस्थापक डॉ. सांत्वना श्रीकांत महिलाओं को जागरुक बनाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। पिछले सप्ताह डॉ. सांत्वना ने दिल्ली स्थित नांगलोई गांव में महिला समूह से उनकी समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की।
उनका मानना है कि जब तक महिलाएं आर्थिक रूप से सक्षम नहीं होंगी, तब तक वे समाज में अपनी भूमिका पूरी मजबूती से नहीं निभा पाएंगी।

ड़ॉ. सांत्वना ने कहा कि सशक्त होने का मतलब यह नहीं है कि वे घर से बाहर निकल कर नौकरी करना या पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चलें। महिलाओं के सशक्त होने से उनके निर्णय ले लेने की क्षमता का विकास होता है।
इस बातचीत में डॉ. सांत्वना ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए स्वरोज़गार, कौशल विकास और वित्तीय साक्षरता जैसे साधनों को अपनाने की सलाह दी। उन्होंने यह भी समझाया कि इकनॉमिक एम्पावरमेंट ही महिलाओं को आत्मनिर्भर बना सकता है और उन्हें निर्णय लेने की शक्ति देता है।
महिलाओं ने भी खुलकर अपने अनुभव साझा किए और यह महसूस किया कि डॉ. सांत्वना की बातें उनके जीवन में नया आत्मबल और दिशा देने वाली हैं। यह संवाद न केवल जानकारीपूर्ण रहा, बल्कि प्रेरणादायक भी सिद्ध हुआ।
