आर्ट गैलरी जीवन कौशल

पंछी-प्रश्रय पीयूष कुमार के कैमरे से

हारिल (Yellow footed green pigeon)  एक Schedule – IV पक्षी है और वाइल्डलाइफ प्रोटक्शन एक्ट 1972 के अंतर्गत इसकी जिस की स्थिति चिंताजनक नहीं है। यह पर्याप्त संख्या में पाए जाते हैं। यह एक बहुत ही सुंदर कबूतर होता है, जिसका रंग हरा ऑलिव होता है। हारिल पर सूरदास ने लिखा है – हमारे  हरि  हारिल  की  लकरी । बाद में ‘अज्ञेय’ ने गुरदासपुर में 2 अक्टूबर, 1938 को लिखा – उड़ चल हारिल।

इंडियन गोल्डन ओरियल (oriolus kundoo) 

यह भारत और मध्य एशिया में पाया जाता है। यह एक नर इंडियन गोल्डन ओरियल है। मादा ओरियल इतनी चटख पीली नहीं होती, उसकी आंखों में ऐसा कथकली वाला बड़का सा काजल नहीं होता है। इनका प्रजनन काल जून जुलाई का होता है।

Merops persicus अर्थात bee eater

इसे पतिंगा या पतरंगा भी कहते हैं इसे। छत्तीसगढी गीतों में इसके स्त्रीवाची रूप में पतरेंगी कहा गया है। पतरेंगी शब्द को यहां प्रेयसी के लिए उपमा के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। ये कार्तिक में दिखते है और उधर मार्च के बाद गायब हो जाते हैं। इनकी उड़ान देखने योग्य होती है। पंख तानकर, सीधे ऊपर और एकदम से सीधे नीचे आते ये सुखोई फाइटर प्लेन की तरह लगते हैं। 
Red-naped ibis) भी कहते हैं, भारतीय उपमहाद्वीप में मिलने वाले यह पक्षी नम भूमि में रहती हैं और जल पर निर्भर होती हैं। यह शुष्क खेतों व मैदानों में भी मिलती है। इसका लगभग पूरा शरीर गाढ़े रंग का होता है, कंधों पर एक सफेद धब्बा और डब (सिर व गर्दन के पीछे का भाग) लाल होता है। यह अपने घोंसलें बड़े वृक्षों पर बनाती है।
ब्राह्मणी मैना (Sturnia pagodarum)। यह पूरे भारत मे पाया जाता है। इसका हेयर स्टाइल इसे खास बनाता है।

Pied myna (एशियन मैना)

महोक (Greater Coucal) 
गांव कस्बों में ये पक्षी हमेशा दिखते हैं और अपनी विशिष्ट आवाज से वातावरण सुखद बनाये रखते हैं। अपनी आवाज चोंच बन्द करके निकालता है। पहले गले मे सांस भर लेता है फिर हूप हूप या कूप कूप जैसी आवाज निकालता है। महोक को भारद्वाज पक्षी भी कहते हैं। हो सकता है कि भारद्वाज गोत्र का यही पक्षी टोटम या प्रतीक हो। कोयल परिवार का यह पक्षी अपने अंडे खुद ही सेता है। जहां इसका रंग चमकीला काला होता है वहीं इसके पंख भूरे होते हैं। सारे भारत मे पाए जानेवाले इस पक्षी का आकार काले कौव्वे से थोड़ा बड़ा होता है।

मधुर आवाज पर कटु व्यवहार वाला पक्षी नर कोयल
भारत मे कोयल झारखंड का राजकीय पक्षी है। कोयल का सामाजिक व्यवहार बड़ा रोचक है। पत्तों के बीच छुप छुप कर गाते मधुर आवाज वाले इस पक्षी के सौम्य और शर्मीले व्यवहार की हम कल्पना करते हैं जबकि यह हिंसक और कटु व्यवहार का होता है। यह नीली आभा लिए काले पंखों वाला होता है। यह इतना शातिर है कि मादा कोयल के अंडों को दूसरे पक्षी के घोंसले में छोड़ आता है और वह पक्षी बाकायदा उन अंडों को सेता है। कैम्ब्रिज विवि के शोध में पाया गया है कि इसने खुद को ऐसा विकसित किया है कि इससे दूसरे पक्षी डरते हैं। इसकी लाल इस बात की तकसीद करती हैं।
बसंता (The coppersmith barbet)

इस सुंदर बारबेट का चेहरा यूं लगता है जैसे कथकली करने के लिए तैयार है। सन्नाटे में ऐसी आवाज आये कि लगे तांबे को कोई हौले हौले ठोक रहा हो तो समझिए यही जनाब हैं।
मुनिया (scaly-breasted munia) 
चलत मुसाफिर मोह लियो रे पिंजरे वाली मुनिया… इस गाने में जो मुनिया है, यही पक्षी है। 

About the author

पीयूष कुमार

पीयूष कुमार

पता - वार्ड नम्बर 04, शांतिनगर स्ट्रीट, बागबाहरा

जिला - महासमुंद (छत्तीसगढ़) 493449
लेखन - सह संपादक 'सर्वनाम'। आलेख, समीक्षा, अनुवाद, कविता, सिनेमा आदि विधाओं में लेखन। हंस, संप्रेषण, अक्षर पर्व, सर्वनाम, छत्तीसगढ़ मित्र, शैक्षिक दखल आदि पत्रिकाओं, विभिन्न समाचार पत्रों, और ऑनलाइन पोर्टल, न्यूजसाइट पर प्रकाशन।
प्रकाशन - 'सेमरसोत में साँझ' नाम से कविता पुस्तक भारतीय ज्ञानपीठ से सद्यप्रकाशित।
अन्य - लोकसंस्कृति अध्येता। शौकिया फोटोग्राफी, पुस्तकों के कव्हर हेतु छायांकन।
संप्रति - छत्तीसगढ़ उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत डिग्री कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर
मोबाइल - 8839072306
ई मेल - piyush3874@gmail.com

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