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लेखक विनोद कुमार शुक्ल क्यों खफा हैं अपने प्रकाशकों से?

फोटो : साभार गूगल

अश्रुत पूर्वा II

नई दिल्ली। हिंदी लेखक और कवि विनोद कुमार शुक्ल अपने प्रकाशकों से क्यों नाराज हैं? यह इन दिनों चर्चा का विषय है। खास तौर से सोशल मीडिया पर। पता चला है कि वे प्रकाशकों से रायल्टी के रूप में कम भुगतान मिलने से खफा हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि बरसों से उन्हें कम भुगतान किया जा रहा है। शुक्ल कोई परिचय के मोहताज नहीं। उनकी रचनाएं हिंदी पाठ्यक्रम में विद्यार्थी पढ़ते रहे हैं। बड़ी संख्या में उनके पाठक हैं।

दरअसल,  86 साल के इस बुजुर्ग लेखक का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी पोस्ट किया जा रहा है, इसमें शुक्ल दो हिंदी प्रकाशन समूहों से उनके उपन्यास ‘नौकर की कमीज’ और ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ सहित अपनी अन्य लोकप्रिय पुस्तकों से मिलने वाली रॉयल्टी के बारे में बात करते हुए दिखाई दे रहे हैं।  
उन्होंने आरोप लगाया कि जहां एक प्रकाशक ने उन्हें पिछले 25 साल में केवल 1.35 लाख रुपए का भुगतान किया है, वहीं दूसरे प्रकाशक उन्हें छह पुस्तकों के लिए सालाना करीब 14 हजार रुपए देते हैं।

विवाद बढ़ने पर राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक कुमार माहेश्वरी ने एक बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि प्रकाशन ने शुक्ल के साथ बैठ कर मुद्दों को सुलझाने का वादा किया है। विनोद कुमार शुक्ल सम्मानित लेखक हैं। उन्होंने हमेशा हम पर भरोसा किया है और हमने हमेशा उनका सम्मान किया है। ऐसा कोई मामला नहीं है जहां हमने उनके पत्रों या उनकी कॉलों का जवाब नहीं दिया हो। उन्होंने हमें कभी कोई पत्र नहीं भेजा जिसमें उन्होंने हमें अपनी कोई भी पुस्तक प्रकाशित न करने के लिए कहा। पिछले साल जून में उनकी लघु कथाओं का एकमात्र संग्रह ‘महाविद्यालय’ प्रकाशित करने के लिए हमारा उनके साथ एक अनुबंध था … यह पिछले सप्ताह प्रकाशित हुआ था।

फोटो : साभार गूगल

प्रकाशन समूह ने बयान में कहा, इस पुस्तक से पहले, हमने हमेशा विनोद कुमार शुक्ल जी को अग्रिम रायल्टी भेजी है। यह पहली बार था कि उन्होंने ‘महाविद्यालय’ के लिए अग्रिम रॉयल्टी नहीं मांगी और हमने इसे उनके विश्वास के रूप में देखा। यह पहली बार है कि हम सोशल मीडिया के माध्यम से अविश्वास के मुद्दे के बारे में सुन रहे हैं।

दरअसल, लेखक-अभिनेता मानव कौल हाल में रायपुर में विनोद कुमार शुक्ल से एक वृत्तचित्र की शूटिंग के दौरान मिले थे और इस मुद्दे को सामने वाले वे पहले व्यक्ति हैं। अपने पिता की ओर से एक समाचार एजंसी से बात करते हुए शुक्ल के बेटे शाश्वत गोपाल शुक्ल ने कहा कि उन्हें कम रॉयल्टी के बारे में तब पता चला जब उनके पिता, मानव कौल से मिले। कौल के इंस्टाग्राम पर पोस्ट के बाद से यह मामला चर्चा में है।

शुक्ल के बेटे ने कहा, लगभग एक सप्ताह पहले मानव कौल उनके पिता से मिलने रायपुर आए थे और यहां कुछ समय बिताया था। उन्होंने बातचीत के दौरान रॉयल्टी के बारे में पूछा था। कौल ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में इस मुद्दे उठाते हुए ‘हिंदी के सबसे बड़े लेखक’ के साथ तस्वीरें भी पोस्ट की थीं। रॉयल्टी का यह मुद्दा फिलहाल गरमा गया है।

(डिस्कलेमर : इस विवाद से अश्रुतपूर्वा का लेना-देना नहीं। यह कंटेट फेसबुक पर चर्चाओं और खबरों पर आधारित है। )

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