अश्रुत पूर्वा सांस्कृतिक डेस्क II
नई दिल्ली। आजादी की सुबह से लेकर अगले सात दशक तक ऐतिहासिक राजपथ ने कई दौर देखे हैं। औपनिवेशिक शासन को देखा तो लोकतांत्रिक राष्ट्र के गौरव का भी यह गवाह रहा। रायसीना हिल परिसर से इंडिया गेट तक फैले इस मार्ग का नाम सबसे पहले किंग्सवे रखा गया था। ब्रिटिश सम्राट किंग जॉर्ज पंचम ने सत्ता का केंद्र कलकत्ता से दिल्ली करने का फरमान जारी किया तब इस पथ को बनाया गया था। मगर भारत को जब आजादी मिल गई तब किंग्सवे का नाम बदल कर राजपथ कर दिया गया। वहीं इसके लंबवत मार्ग क्वींसवे का नाम बदल कर जनपथ कर दिया गया। कर्तव्यपथ आज अपने सीने में इतिहास के न जाने कितने अध्याय समेटे हुए है।
एक लंबी कवायद के बाद राजपथ को एक नया रूप दिया गया और इसका नाम बदल कर कर्तव्यपथ कर दिया गया है। बता दें कि किंग जॉर्ज पंचम और उनकी पत्नी क्वीन मैरी ने 15 दिसंबर, 1911 को ब्रिटिश हुकूमत की नई राजधानी की आधारशिला रखी थी। वास्तुकार सर एडविन लुटियन और सर हर्बर्ट बेकर ने दिल्ली के इस खास हिस्से को एक नई शक्ल दी। इसकी भव्यता और स्थापत्य कला ने दुनिया के कई श्रेष्ठ शहरों को भी मात दे दी। इस नई राजधानी का केंद्र बिंदु रायसीना हिल परिसर था, जिसमें वायसराय हाउस (अब राष्ट्रपति भवन) और नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक सचिवालय थे।
भारत 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र बना। राजपथ 1951 से सभी गणतंत्र दिवस समारोहों का साक्षी रहा है। पिछले दिनों नई दिल्ली नगरपालिका परिषद ने राजपथ का नाम बदलने की मंजूरी दे दी। इस संबंध में एक सार्वजनिक नोटिस जारी करने के बाद राजपथ और सेंट्रल विस्टा लॉन को कर्तव्य पथ का नाम दिया गया।
इसके साथ ही ग्रेट प्लेस (बाद में इसे विजय चौक का नाम दिया गया) से इंडिया गेट तक एक भव्य मार्ग बनाया गया, जिसके दोनों तरफ हरी-भरी घास, लैम्पपोस्ट और फव्वारे थे। राष्ट्रपति भवन के पास ही एक गोलाकार संसद भवन बनाया। तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने इसका उद्घाटन जनवरी 1927 में किया। दो विश्व युद्धों के बीच यह एक नया शहर बसा। इसे बनने में कोई 20 साल लगे। अंग्रेजों का राज खत्म होने के बाद 15 अगस्त, 1947 को रायसीना हिल से इंडिया गेट तक लोग स्वतंत्र भारत की नई सुबह का स्वागत करने के लिए उमड़ पड़े थे।
भारत 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र बना। इसके बाद से राजपथ 1951 से सभी गणतंत्र दिवस समारोह का साक्षी रहा है। पिछले दिनों नई दिल्ली नगरपालिका परिषद ने राजपथ का नाम बदलने की मंजूरी दी। इस संबंध में एक सार्वजनिक अधिसूचना जारी कर राजपथ और सेंट्रल विस्टा लॉन को कर्तव्य पथ का नाम दिया गया।
विदेश और संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने पिछले दिनों कहा कि स्वतंत्रता के 75 साल बाद यह महसूस किया गया कि लोकतंत्र के मूल्यों और सिद्धांतों तथा समकालीन नए भारत के अनुरूप राजपथ का नाम बदलने की जरूरत है। कर्तव्यपथ उन सभी को भी प्रेरित करेगा जो देश, समाज और अपने परिवारों के प्रति अपने कर्तव्य का पालन करने के लिए इस सड़क पर आते हैं या इसे पार करते हैं।
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया गेट पर बोस की 28 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया। इसे देखने काफी संख्या में पर्यटक आ रहे हैं। वहीं राजपथ को नए स्वरूप में पाकर लोगों ने प्रसन्नता जाहिर की है। सैकड़ों बच्चे और युवा रोज यहां आते हैं। सेल्फी लेते युवाओं और तस्वीरें खिंचवाते लोगों को सहज ही देखा जा सकता है।