वेद ऋचा II
एक निश्चित, बंधी-बंधाई दिनचर्या का अंत और भविष्य की अनिश्चितकालीन लंबी छुट्टियां। सुनने में यह अच्छा लगता है कि बस अपना समय, अपने लिए, अपनी इच्छानुसार। मगर जमीनी हकीकत कुछ और होती है। आपका महत्त्व, पहचान और सम्मान जो आपके कार्यक्षेत्र में था उसके बिना सब खाली-खाली और व्यर्थ लगने लगता है।
हमारे देश में मुफ्त सलाह बिना मांगे आपके शुभचिंतक आपको देंगे ही देंगे। और आपके सामने स्वीकारोक्ति में सिर हिलाने के सिवाय अन्य विकल्प भी नहीं होता। इसका अर्थ यह नहीं कि आप उनकी सलाह के अनुरूप स्वयं को समर्थ न पाएं तो अपराधबोध या आत्मग्लानि से ग्रस्त हो जाएं। सुनें सबकी, मगर करें मन की।
सेवानिवृति के उपरांत आपको और आपके परिवार को बहुत सी अपेक्षाएं होंगी एक दूसरे से जो व्यावहारिक रूप से पूरा करना संभव नहीं होता। आप हर समय घर पर उपस्थित हैं तो इसका अर्थ यह नहीं कि हर सदस्य के समय अनुसार और स्वादानुसार नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात का खाना परोसने के साथ साथ उनकी अन्य सेवाओं के लिए उपलब्ध हैं या वह सब आपकी इच्छानुसार हर कार्य आपसे पूछ कर ही करना शुरू कर दें। थोड़ा ढील दें और थोड़ा-बहुत स्वयं को भी अपनी मर्जी करने दें।
सेवानिवृत्ति के उपरांत आपको और आपके परिवार को बहुत सी अपेक्षाएं होंगी एक दूसरे से जो व्यावहारिक रूप से पूरा करना संभव नहीं होता। आप हर समय घर पर उपस्थित हैं तो इसका अर्थ यह नहीं कि हर सदस्य के समय अनुसार काम करें।
आपकी खुशी, स्वास्थ्य, पसंद-नापसंद और जिंदगी जीने का तरीका आप पर निर्भर करता है। और वह कौन सा है, यह भी आपको ही ढूंढ कर अपनाना है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने की आदत मजबूरी में थी। क्योंकि घर के काम निपटा कर काम पर जाना होता था, तो अब वह छोड़ी जा सकती है। नींद तो खुलेगी पर फिर से सो सकते हैं। घूमने जाना सूर्योदय से पहले ही हो, किसने कहा है? और कहा भी है, तो मानना जरूरी तो नहीं। जब जागो तभी सवेरा। यदि आठ-नौ बजे भी चाहें तो आप सहर्ष जा सकते हैं। विटामिन डी मिलेगा। शारीरिक रूप से थकना आवश्यक है ताकि आराम हराम न हो। सुबह और शाम कम से कम एक दो घंटे व्यायाम को दें तो मन भी ऊजार्वान रहेगा।
क्या करना है, कब करना है यह अभी निश्चित नहीं है, तो कोई बात नहीं। जो भी हुआ अच्छा था। जो होगा वह बेहतर ही होगा। आपकी उपलब्धियां इस बात का सबूत हैं कि आपमें योग्यता है। अनुभव है, सामर्थ्य है तो घबराना कैसा…स्वयं पर भरोसा रखें और समय को समय दें। अवसर आपकी प्रतीक्षा में है और आप अवसर की…दोनों एक दूसरे को जल्द ही मिलेंगे। क्योंकि सेवानिवृत्ति जीवन का अंत नहीं। यह अगले डगर की शुरुआत है।
(लेखिका सेवानिवृत्त अंग्रजी शिक्षिका हैं। यह उनका आत्मसंवाद है जो सेवानिवृत्त हो रहे किसी भी व्यक्ति के लिए प्रेरक साबित होगी।)