अश्रुतपूर्वा II
नई दिल्ली। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित वयोवृद्ध असमी साहित्यकार नीलमणि फूकन नहीं रहे। वे उम्र संबंधी कई व्याधियों से ग्रस्त थे। फूकन 90 साल के थे। उनके परिवार में दो बेटे, एक बेटी और पत्नी हैं। बताया गया कि सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद फूकन को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में उन्हें गौहाटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने नीलमणि फूकन के निधन पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने एक बयान में कहा, काव्य ऋषि नीलमणि फूकन उज्ज्वल साहित्यिक सितारों में से एक थे, जिन्होंने असमी साहित्य को समृद्ध किया। उनके योगदान को सदा याद किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं जताते हुए कहा कि उनके निधन से ऐसी क्षति हुई है जिसकी भरपाई कर पाना मुश्किल होगा।
नीलमणि फूकन को साहित्य में उनके समग्र योगदान के लिए 2021 का ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया था। वे बीरेंद्रनाथ भट्टाचार्य और मामोनी (इंदिरा) रायसम गोस्वामी के बाद असम में ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले तीसरे साहित्यकार थे। फूकन को उनके काव्य संग्रह ‘कविता’ के लिए 1981 में साहित्य अकादेमी पुरस्कार दिया गया था।
फूकन को 1990 में पद्मश्री और 2002 में साहित्य अकादेमी फेलोशिप प्रदान किया गया था। ‘काव्य ऋषि’ की उपाधि से सम्मानित फूकन का जन्म और पालन-पोषण ऊपरी असम के शहर डेरगांव में हुआ। उन पर प्रकृति, कला और भारतीय शास्त्रीय संगीत का गहरा असर था। (खबर मीडिया में आए समाचार की पुनर्प्रस्तुति)