अश्रुत तत्क्षण

जैसे सच हो गया हो कोई सपना :  प्रोफेसर विश्वनाथ प्रसाद तिवारी

अश्रुतपूर्वा II

नई दिल्ली। पिछले दिनों पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुने गए  प्रोफेसर विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि यह सम्मान किसी सपने के सच होने जैसा है। मगर यह पहले मिलना चाहिए था। प्रोफेसर तिवारी गोरखपुर विश्वविद्यालय में हिंदी के विभागाध्यक्ष रहे हैं। बयालीस साल के प्रोफेसर तिवारी ने गोरखपुर में पत्रकारों से कहा, अगर किसी लेखक को बिना किसी सिफारिश के देश का प्रतिष्ठित पुरस्कार पद्मश्री मिल जाए तो उसका सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मैंने अपनी पूरी जिंदगी निष्पक्ष रहने की कोशिश की। सरकार ने भी मेरी इस निष्पक्षता का सम्मान किया।’
वयोवृद्ध साहित्यकार ने कहा कि कोई भी पुरस्कार लेखन की गुणवत्ता के आधार पर दिया जाना चाहिए। मैं साढ़े 82 साल का हो चुका हूं और इस अवस्था में मुझे लगता है कि अगर यह पुरस्कार मुझे और पहले मिला होता तो मुझे ज्यादा खुशी होती। शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्र में पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित प्रोफेसर तिवारी ने कहा, यह सोचने की बात है, मगर मुझे देर से ही सही, मगर यह पुरस्कार मिला।
प्रोफेसर तिवारी इस वक्त वह गोरखपुर के बेतीहाता में अपने परिवार के साथ रह रहे हैं। उन्हें साहित्य के साथ-साथ शिक्षा और शिक्षण में उत्कृष्ट योगदान के लिए भी जाना जाता है। वे गोरखपुर विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष रहे।
वर्ष 2001 में सेवानिवृत्त होने के बाद वह वर्ष 2013 से 2017 तक साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष भी रहे। प्रोफेसर तिवारी को रूस के पुश्किन अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष 2019 में उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी नवाजा गया था। वे गोरखपुर विश्वविद्यालय से जुड़ी दूसरी हस्ती हैं जिन्हें पद्म पुरस्कार दिया गया है। इससे पहले, गोरखपुर विश्वविद्यालय के संगीत एवं ललित कला विभाग के पूर्व अध्यक्ष आचार्य राजेश्वर को पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किया गया था।

साहित्य अकादेमी के पूर्व अध्यक्ष प्रो विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि कोई भी पुरस्कार लेखन की गुणवत्ता के आधार पर दिया जाना चाहिए।

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