स्वास्थ्य

जरा संभल कर, गांजा दवा है तो जहर भी

अमृता चौहान II

मारिजुआना या गांजा का सेवन भारत समेत कई देशों में अपराध की श्रेणी में आता है। लेकिन थाईलैंड एशिया का पहला देश है जिसने मारिजुआना को प्रतिबंधित पदार्थों की सूची से हटा दिया है और लोगों को घर पर पौधे उगाने की अनुमति दी है। दरअसल, थाईलैंड सरकार मारिजुआना को नकदी फसल के रूप में बढ़ावा दे रही है। वहां के स्वास्थ्य मंत्री और उप प्रधान मंत्री ने पिछले महीने मारिजुआना की फसल उगाने का आग्रह किया और बताया है कि ये कई समस्याओं के लिए मेडिकल ट्रीटमेंट के रूप में काम कर सकता है।
लेकिन क्या मारिजुआना या गांजा का सेवन शरीर के लिए सच में फायदेमंद है…यह सवाल इसलिए क्योंकि एक ऐसी खबर जो दुनिया भर के लोगों को चौका रही है…दुनिया में कहीं भी पहुंच जाइए, स्मोकिंग किसी न किसी रूप में लोगों को प्रभावित कर रही है। कहीं नेचुरल चीजों से लोग नशीला धुआं बना लेते हैं, तो कहीं सिगरेट और बीड़ी से ही काम चला रहे हैं। स्मोकर्स की खास बात ये भी है कि वे इसे छोड़ने की बात तो रोज करते हैं लेकिन छोड़ नहीं पाते। ऐसे ही गंजेड़ियों के लिए एक नौकरी मार्केट में आ चुकी है, यहां उन्हें गांजा फूंकने के बदले अच्छी-खासी सैलरी भी आॅफर की जा रही है। कंपनी ने खासतौर पर गंजेड़ियों के लिए गजब की पेशकश की है।
नौकरी के विज्ञापन के मुताबिक, आपको सिर्फ गांजा फूंकना है और इसके बदले में 88 लाख रुपए भारी-भरकम सैलरी भी मिलने वाली है। अब स्मोकरों ने इस नौकरी के लिए लाइन लगा दी है। सोशल मीडिया पर तो लोग इस नौकरी के बारे में सुन कर ही दंग हो रहे हैं, लेकिन ये अजीबोगरीब नौकरी के लिए आॅफर प्रोफेशनली गांजा पीने वालों के लिए निकाला गया है। जर्मनी की एक कंपनी को एक ऐसे कर्मचारी की तलाश है, जो पेशेवर तरीके से गंजेड़ी हों। आप हैरान मत होइए, इस कंपनी का नाम ही कैनबिस सोम्मेलियर है और उसे अपने लिए एक प्रोफेशनल स्मोकर की तलाश है। प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता जांचने के लिए उन्हें वीड एक्सपर्ट की तलाश है।
कोलोन बेस्ड कैनामेडिकल, जर्मन फामेर्सीज को दवा के तौर पर कैनबिस यानी भांग बेचती है। इसके लिए उसे ऐसे लोगों की तलाश है, जो उसके प्रोडक्ट को सूंघे, महसूस करे और स्मोक करके उसकी गुणवत्ता की जांच करे। मजे की बात ये भी है कि इस नौकरी के लिए भी कड़ी प्रतियोगिता है क्योंकि गंजेड़ियों ने अर्जियों की झड़ी लगा दी है। हालांकि नौकरी में पेच ये है कि कर्मचारी को कैनबिस पेशेंट होना जरूरी है और जर्मनी में कानूनी तौर पर गांजा पीने का उसके पास लाइसेंस भी होना चाहिए। चलिए आपको कुछ रिसर्च के बारे में बताएंगे कि आखिर वीड यानी गांजे के फायदे और नुकसान क्या हैं।

मांसपेशियों के तनाव को दूर करता है
गांजा मानसिक और शारीरिक तनावों को दूर करने में भी मदद करता है। गांजे के पौधे के अंदर कैनबिनोइड्स होता है जो कि स्ट्रेचिंग या मोबिलिटी को कम करता है है और तनाव कम करता है। ये आपकी मांसपेशियों को शांत करता है और खिंचाव व बेचैनी को कम करता है।

रिकवरी में तेजी लाता है
जो लोग नियमित रूप से गांजे का सेवन करते हैं, उनका कहना है कि ये आराम और रिकवरी को बढ़ावा देने की शक्तिशाली क्षमता रखता है। दरअसल, इसमें साइकोटिक प्रभाव होता है और इसका एंटीइंफ्लेमेटरी गुण दर्द के अहसास को कम कर देता है और स्ट्रेस को कम करके रिकवरी में तेजी लाता है। इस तरह रिकवरी फैसिलिटेटर के रूप में भी काम करता है। पेट से जुड़ी कुछ समस्याओं में फायदेमंद है।
कई अध्ययनों से पता चला है कि कैनबिनोइड्स मतली और उल्टी में सुधार करने में मदद कर सकता है जो कई बीमारियों में होता है। सीबीडी और अन्य गैर-साइकोएक्टिव कैनबिनोइड्स का उपयोग जीआई विकारों जैसे कि ब्लॉटिंग, क्रोहन, अल्सरेटिव कोलाइटिस को रोकने और इलाज के लिए प्रभावी ढंग से किया जा सकता है।

मानसिक सेहत के लिए फायदेमंद
गांजा मानसिक विकारों को कम कर सकता है। यह चिंता और अवसाद से लेकर सिजोफ्रेनिया और अल्जाइमर रोग तक विभिन्न स्थितियों में जुड़े कई लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। अगर आप मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं तो आपको डॉक्टर से पूछ कर इसका सेवन करना चाहिए। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा गांजा के इन तमाम फायदे के बाद भी इसका मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। नेशनल एकेडमी आॅफ साइंसेज, इंजीनियरिंग और मेडिसिन रिपोर्ट से पता चलता है कि गांजा बाइपोलर डिसआॅर्डर का कारण बन सकते हैं।
इसके अलावा ये अवसाद का कारण भी बन सकता है। गांजे के उपयोग से सिजोफ्रेनिया सहित मनोविकृति का खतरा बढ़ सकता है। कुछ शोध बताते हैं कि यह टेस्टिकुलर कैंसर के खतरे को बढ़ाता है। यह इस कैंसर को धीमी गति से बढ़ाता है। नियमित गांजा का सेवन पुरानी खांसी के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है और ये फेफड़े की कार्यक्षमता बिगड़ता है। साथ ही ये क्रॉनिक आॅब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज या अस्थमा का खतरा भी बढ़ाता है।

ध्यान देने वाली बात-
गांजा के फायदे और नुकसान जो भी हो, आपको मानना पड़ेगा कि यह एक नशीला पदार्थ है। दवाइयों में जब इसका इस्तेमाल होता है तब इसकी एक संतुलित और सीमित मात्रा होती है। इसलिए कभी भी अपने मन से इसका सेवन न करें। ज्यादतर डॉक्टरों का कहना है कि इस से फेफड़े और गुर्दे की बीमारी हो जाती है। इसलिए इसका सेवन हानिकारक है… नोटिंघम यूनिवर्सिटी के शोध में ये कहा गया है कि नींद की बीमारी में ये फायदा करता है।
नियमित रूप से गांजा पीने से तनाव और अवसाद की स्थिति पैदा हो सकती है। प्रजनन तंत्र पर इसका हानिकारक प्रभाव होता है। प्रोस्टेट कैंसर और बांझपन की समस्या होने की आशंका बढ़ जाती है। गले और मुंह में जलन, कैंसर और खांसी बनी रहती है। यदि नियमित गांजे का सेवन किया जाए तो इससे हार्टअटैक आने का खतरा बना रहता है। गांजे का सेवन करने से हड्डियां गलने लगती हैं। कम उम्र में नौजवानों ने जितना ज्यादा नशा किया, उनकी बुद्धि उतनी ही मंद होती गई और नशा छोड़ने पर भी उनकी बुद्धि का विकास नहीं हो पाया।
आपको लग रहा होगा कि आखिर शरीर में जाने के बाद ये गांजा करता क्या है? दरअसल, इससे इंसान का दिमाग आउट आॅफ कंट्रोल हो जाता है। समेत कई देशों में गांजे पर प्रतिबंध लगाया गया है तो वहीं कई देशों में ये पूरी तरह से वैध है। कैनेबिस के फूलों से ही गांजा बनाया जाता है. आमतौर पर गांजे को सिगरेट की तरह स्मोक किया जाता है. वहीं, कई लोग बताते हैं कि इसे खाया भी जाता है और घोल कर भी पीया जाता है।
ये तो आपको मालूम ही होगा कि हमारा दिमाग अपना सारा काम न्यूरॉन्स की मदद से करता है और गांजा पीने के बाद न्यूरॉन्स ही कंट्रोल से बाहर हो जाता है। गांजा पीने के बाद जब हमारा न्यूरॉन्स या दिमाग बेकाबू हो जाता है तो लोगों को बेशक आनंद की अनुभूति होती है लेकिन वे कोई बात ज्यादा देर तक याद नहीं रख पाते, वे पहले की तरह किसी बात तो याद भी नहीं कर पाते यानी यदि ऐसे लोगों को कोई बात बताई जाए तो वे उनके दिमाग में नहीं बैठती।
बताते चलें कि ये सभी कम अवधि वाली दिक्कतें हैं जो गांजे का नशा उतरने के बाद ठीक हो जाती हैं। प्रतिबंधित होने की वजह से गांजे को लेकर कोई बहुत ज्यादा रिसर्च या स्टडी भी नहीं हुई है, लेकिन ये कम उम्र के लोगों पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है। भारत में गांजा पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है, इसके बावजूद लोग इसका प्रयोग करते हैं। बेहतर होगा कि आप इसके सेवन से बचे।

लंबे समय तक गांजे का उपयोग करने से सांस के रोग होने का खतरा रहता है। यदि आप गांजे का सेवन करते हैं तो आपकी याददाश्त भी प्रभावित हो सकती है। इससे आपके सामाजिक और पारिवारिक रिश्तों पर भी प्रभाव पड़ता है। नियमित गांजे का उपयोग लगातार खांसी और कफ का कारण बन सकता है।

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