अश्रुत तत्क्षण

पूरी दुनिया में मनाया गया अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस

अश्रुतपूर्वा II

नई दिल्ली। आज भी स्त्री पुरुषों के बीच भेदभाव जारी है। कई देशों में स्त्रियों और बच्चों के साथ हिंसा हो रही है। यह ऐसी दुनिया है जहां लड़कों से बात करने पर पिता अपनी बेटी की जान ले लेता है। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र लाख कोशिशों के बावजूद उस अंतिम महिला तक नहीं पहुंच रहा जो दमन की शिकार है। महिलाओं की हत्याओं के बाद रैली निकाली जाती है। प्रदर्शन होते हैं मगर उसका असर होता नहीं दिखता। कुछ ही दिनों बाद दुनिया के किसी कोने में कोई न कोई महिला की हत्या की जा रही होती है। यही वजह है कि महिला संगठन अब और मजबूत हो रहे हैं। अपनी आवाज मुखर कर रहे हैं। आठ मार्च को दुनिया भर की स्त्रियों ने एक बार फिर आवाज बुलंद की।
विश्व के अलग-अलग देशों में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रदर्शनों, रैलियों और रंगारंग कार्यक्रमों का सिलसिला जारी रहा। लोगों ने उत्सव मनाते हुए विश्व की आधी आबादी के लिए समानता की पैरवी की। इतने बड़े पैमाने पर महिला दिवस मनाने के बावजूद ईरान और अफगानिस्तान से लेकर दुनिया के कई हिस्सों में महिलाएं अब भी अपराध और अपने अधिकारों के हनन का सामना कर रही हैं तो यह चिंता की बात है। इससे साफ जाहिर है कि महिलाओं के लिए समानता की स्थिति के लिहाज से अभी लंबा सफर तय करना है।
संयुक्त राष्ट्र ने भी माना है कि महिलाओं के अधिकारों का हनन हो रहा है। उनके साथ हिंसा हो रही है। उनका यौन उत्पीड़न हो रहा है। यही हाल रहा तो अगले कई सौ साल बाद भी स्त्री-पुरुष समानता को हासिल नहीं किया जा सकेगा।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर देश में अलग-अलग तरह से मनाया गया। महिला दिवस कार्यक्रमों में लाखों महिलाओं ने हिस्सा लिया। विश्व के कई  शहरों में भी बड़ी रैलियां हुई। कार्यक्रम शांतिपूर्ण रहे। इनका उद्देय सिर्फ संविधान द्वारा निहित अधिकारों को हासिल करना रहा।
पाकिस्तान में महिलाओं के मार्च को लेकर इस बार सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। पिछले साल कुछ कट्टरपंथी समूहों ने इस मार्च को रोकने की धमकी दी थी। अफगानिस्तान की सत्ता में तालिबान के काबिज होने के बाद तो यह देश महिलाओं और लड़कियों के लिए सबसे दमनकारी स्थान बन गया है।
भारत में महिला दिवस पर हजारों महिलाओं ने सोशल मीडिया के अलग-अलग मंचों पर अपनी आवाज बुलंद की। आठ मार्च को रंगों का त्योहार होने के कारण ज्यादातर जगहों पर पिछले साल की तरह कार्यक्रम नहीं हुए। मगर महिलाओं का संकल्प फिर भी मजबूत दिखा।

हर देश में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस अलग-अलग तरह से मनाया गया। कार्यक्रमों में लाखों महिलाओं ने हिस्सा लिया। विश्व के कई शहरों में भी बड़ी रैलियां हुई। कार्यक्रम शांतिपूर्ण रहे। इनका उद्देश्य सिर्फ संविधान द्वारा निहित अधिकारों को हासिल करना रहा।

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