अश्रुतपूर्वा II
यह 2014 का यह आंकड़ा है। तब बताया गया था कि देश में 20 करोड़ लोग मोटापे के शिकार हैं। पिछले दिनों विश्व मोटापा दिवस पर आई एक रिपोर्ट ने उन अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी हैं जिनके बच्चे फास्ट फूड और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थो की लत के शिकार हैं। एक वैश्विक अध्ययन में गया है कि अगर रोकथाम, उपचार और जीवन शैली में सुधार नहीं होता तो बच्चों में मोटापे के मामले में 2035 तक नौ फीसद सालाना वृद्धि हो सकती है।
वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन की एक अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2035 कर मोटापे के शिकार लोगों की दर ग्यारह फीसद तक बढ़ जाएगी। इसमें यह भी कहा गया है कि साल 2035 कर वयस्कों में मोटापे के मामलों में 5.2 फीसद की सालाना बढ़ोतरी होगी। यह चिंता का विषय है। इस बीच लोगों में मोटापे से निजात पाने के लिए बेरियाट्रिक सर्जरी कराने की दिलचस्पी बढ़ी है।
आखिर क्यों हो रहा है ऐसा? जाहिर है पिछले एक-डेढ़ दशक में लोगों की जीवन शैली बेतहाशा बदली है। गलत खान-पान, फास्ट फूड और तले-भुने खाने तथा डिबाबाबंद भोजन ने लोगों में मोटापा बढ़ा दिया है। यह समस्या और बढ़ गई है। पिछले दिनों ‘वर्ल्ड ओबेसिटी एटलस 2023’ रिपोर्ट में कहा गया कि 2035 में भारत में लड़कों में मोटापे का जोखिम 12 फीसद तक बढ़ जाएगा। लड़कियों के लिए यह जोखिम 2020 तक दो फीसद था मगर अगले 12 साल में यह बढ़ कर सात फीसद हो जाएगा। यानी लड़कियों में मोटापा बढ़ने का जोखिम आठ फीसद है।
ज्यादा मोटापा कई बीमारियों का घर है। जिस तरह से आज के बच्चे और युवा फास्ट फूड और रेडी टू ईट फूड की चपेट में आ रहे हैं, उसी तरह मोटापा उन पर हावी हो रहा है। वे कम उम्र में थकान या सुस्ती महसूस करते हैं। एक बार मोटे हो गए तो पतला होना इतना आसान नहीं होता। धीरे-धीरे आप कई बीमारियों की चपेट में आने लगते हैं चाहे वे बच्चे हों या वयस्क। महिलाओं में जटिलता और बढ़ जाती है। ऐसे में कुछ भी खाते रहना और आराम करते रहना समस्या बढ़ा देता है। यों भी हर कोई मोटापे को कम करने के लिए बेरियाट्रिक सर्जरी कराना हरेक के बूते की बात नहीं है।
उधर, वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन के अध्यक्ष लुइस बाउर ने कहा है कि इस साल की यह रिपोर्ट साफ तौर पर चेतावनी है कि मोटापे की समस्या को दूर रहने में हम नाकाम रहे तो हम भविष्य में गंभीर नतीजे भुगत सकते हैं। बच्चों में बढ़ता मोटापा खास तौर से चिंता का विषय होगा।
ज्यादा मोटापा कई बीमारियों का घर है। जिस तरह से आज के बच्चे और युवा फास्ट फूड और रेडी टू ईट फूड की चपेट में आ रहे हैं, उसी तरह मोटापा उन पर हावी हो रहा है। वे कम उम्र में थकान या सुस्ती महसूस करते हैं। एक बार मोटे हो गए तो पतला होना इतना आसान नहीं होता।