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लघु फिल्म की वार्षिक प्रतियोगिता के लिए प्रविष्टियां मांगी

अश्रुत पूर्वा II

नई दिल्ली। लघु फिल्में बनाने वालों के लिए यह सुखद दौर है। लघु फिल्में इन दिनों युवा पीढ़ी के दर्शक भी खूब पसंद कर रहे हैं। लघु फिल्मकारों के लिए यह बड़ा अवसर है। संभवत: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इसके महत्त्व को समझा है और उसने मानवाधिकारों पर आधारित लघु फिल्मों की वार्षिक प्रतियोगिता के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित की हैं।
बता दें कि मानवाधिकार आयोग ने लघु फिल्म पुरस्कार योजना वर्ष 2015 में शुरू की थी। इसका उद्देश्य भारतीय नागरिकों के मानवाधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के लिए किए जाने वाले रचनात्मक प्रयासों को सम्मान और प्रोत्साहन देना है। बताया गया है कि लघु फिल्म अंगे्रजी या किसी भी भारतीय भाषा में होनी चाहिए। यह न्यूनतम तीन मिनट से अधिकतम दस मिनट की हो। चुनी गई फिल्मों को आयोग नकद पुरस्कार देता है।
मानवाधिकार आयोग के प्रवक्ता जेमिनी श्रीवास्तव के मुताबिक यह एनिमेशन सहित किसी भी तकनीक से बनी हो सकती है। मगर फिल्म  विषय सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक अधिकारों पर होना चाहिए। दायरा स्वतंत्रता, समानता और गरिमा से जीने के अधिकार का होना जरूरी है। यह बाल श्रमिक अधिकार, महिला व बाल अधिकार, वरिष्ठ नागरिक अधिकार, दिव्यांगों के अधिकार, घरेलू हिंसा, हिरासत में मौत और स्वच्छता के अधिकार आदि किसी भी विषय पर हो सकता है। इसमें कोई भी फिल्मकार हिस्सा ले सकता है। इसके लिए कोई शुल्क नहीं है। (मीडिया में आए समाचार पर आधारित)

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