राधिका त्रिपाठी II मुंह ताकते बुजुर्ग…आंखें अंदर तक धंसी हुई। झुर्रियों से पटा हुआ चेहरा। और...
अभिप्रेरक (मोटिवेशनल)
मौत से पहले जानिए क्या है सांसों की कीमत
मनस्वी अपर्णा II मेरे एक परिचित का हृदयघात से देहावसान हो गया… मैं उनके घर थी। मेरी ही तरह और लोग...
स्त्रियों… रचो अपने लिए भी एक संसार
राधिका त्रिपाठी II पेट की भूख हमें मुंह नहीं खोलने देती। माता-पिता की उम्मीदें हमें सोने नहीं देती।...
देह का दुख स्त्रियों के हिस्से ही क्यों?
राधिका त्रिपाठी II देह का दुख हमेशा स्त्रियों के हिस्से ही आया। सदियों से ऐसा होता आया है। इसकी वजह...
उत्पीड़न का सच आखिर क्यों नहीं स्वीकार करती हैं स्त्रियां
राधिका त्रिपाठी II औरतें घर में, पार्टी में, दोस्ती में, प्यार में हर जगह जरूरत होती हैं। लेकिन जब...
जरूरत में बने रिश्ते नहीं चलते दूर तक
राधिका त्रिपाठी II समाज कितना बदल गया है। आजकल लोग रिश्तों को भी नमक की तरह आवश्यकता अनुसार या कहें...
सभी संभावनाओं के द्वार बंद कर देता छल
मनस्वी अपर्णा II हम जब भी इतिहास पर नजर डालते हैं तो पाते हैं कि इतिहास का एक बड़ा हिस्सा युद्ध के...
लीक से हट कर खींचिए एक बड़ी लकीर
अश्रुतपूर्वा II युवाओं की सोच कितनी बदल गई है। ज्यादातर युवा अब कारपोरेट की नौकरी कर खूब कमाना...
मुझमे मेरा कितना?
लिली मित्रा II मुझमें मेरा कितना है? ऐसा लगता है पूरा अस्तित्व कांच की एक गेंद सा है यदि पटक कर...
चिट्ठिया हो तो हर कोई बांचे
राधिका त्रिपाठी II जीवन में कुछ चीजें समय पर जरूर करनी चाहिए। हर वह काम कर लेना चाहिए जिसका मलाल...
साथी अगर सच्चा है तो वह उबार ही लेगा
राधिका त्रिपाठी II सब कुछ क्षणिक है। उतना ही क्षणिक जितना पलकों का झपकना, सांसों का रुकना, आंसुओं...
सेवानिवृत्ति जीवन का अंत नहीं, यह शुरुआत है अगले डगर की
वेद ऋचा II एक निश्चित, बंधी-बंधाई दिनचर्या का अंत और भविष्य की अनिश्चितकालीन लंबी छुट्टियां। सुनने...