अश्रुत तत्क्षण

आदिवासियों के संघर्ष की पड़ताल करती एक किताब  

अश्रुत पूर्वा संवाद II

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय की सहायक प्रोफेसर डॉ. अंजलि की किताब ‘बात बस्तर की’ का पिछले दिनों लोकार्पण किया गया। यश पब्लिकेशन से प्रकाशित यह किताब बक्सर के आदिवासियों के जीवन पर आधारित है। इसमें उनके जीवन की चुनौतियों, धार्मिक रूढ़ियों, परंपराओं तथा सामाजिक  मान्यताओं का विश्लेषण किया गया है। इस पुस्तक का विमोचन साहित्य अकादमी सभागार में किया गया। इस अवसर पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी विशिष्ट अथिथि थे। दिल्ली भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सतीश उपाध्याय तथा बस्तर विषय विशेषज्ञ राजीव रंजन प्रसाद उपस्थित थे।
लेखिका अंजलि ने कहा, अपनी ‘इस किताब में मैंने बस्तर के आदिवासियों के जीवन के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डालने की कोशिश की है। साथ ही वहां की नक्सलवादी परिस्थितियों के बारे में भी बताने का प्रयास किया है कि किस तरह बस्तर में रहने वाले आदिवासी अपनी संस्कृति और जीवन को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बस्तर के आदिवासियों के जीवन को करीब से जानने और समझने के इच्छुक पाठकों को निश्चित रूप से इस किताब से काफी सहायता मिलेगी।’
डॉ. अंजलि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में लिखने के साथ-साथ साहित्यकारों के साथ साक्षात्कार और चर्चाएं करती रहती हैं। वर्तमान में डॉ. अंजलि दिल्ली विश्वविद्यालय में बतौर सहायक प्रोफेसर कार्यरत हैं।पुस्तक लोकार्पण के इस कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने की। इस अवसर पर तमाम गणमान्य अतिथियों सहित बड़ी संख्या में अन्य लोग मौजूद थे।

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