अनिमा दास ।।
[ओड़िसा के साहित्य अकादमी सम्मान से सम्मानित सुप्रसिद्ध प्रतिष्ठित कवि ‘श्री रक्षक नायक जी’ के ‘बिंबस्नान’ काव्य-संकलन (ओड़िया) से उद्धृत कविता ‘देश’ का हिन्दी अनुवाद अनिमा दास जी द्वारा ]
क्या है देश..?
क्या इसका कोई
है अस्तित्व.. कोई परिचय?
अंकित सीमारेखा?
जैसे कारागार सा भाव लिये
जैसे धूल का है महाबंध…।
क्या है ज्ञात तुम्हे…?
किसने खींची यह रेखा…?
कौन है वह अमीन….???
नितांत, क्रीड़ाभूमि पर
अंकित रेखाएँ जैसी..
कैसे किया है उत्कीर्ण;
नख से अथवा
किसी तीर से
अथवा स्वयं के श्वास में
वाहित वायु से?
अथवा, जिसने की है
अंकित…रेखाएँ
हथेली में… वह
अथवा कोई अन्य शक्ति?
हमारे गणतंत्र का
क्या है गुणसूत्र?
कौन सा नक्षत्र है स्थिर
हमारे विस्तृत आकाश में?
कौन सा तत्त्व..
जोड़ रहा भूत एवं भविष्य को?
एक निश्चित अंतराल में..
कौन सी ध्वनि
होती परिवर्तित मंत्र में
एवं करती सुरभित
जन्म से मोक्ष पर्यंत…
मुहूर्त को करता अमूर्त…?
नहीं है तुम्हारे शब्दों में
अथवा भाव में, अथवा
नहीं होता परिभाषित
तुम्हारे भूय- दर्शन में
क्यूँ होता अवतरित
एक दिव्य पुरुष…!
जिन उक्तियों से तुम
मुझे कह सकते हो तुम मूर्ख
किंतु कदापि न कहना
देशद्रोही…
तुम्हारे विचार
कभी होते प्रतीत
पवन में भंवर से
अथवा कभी
उर्मियों के फेन से ।
हाँ.. आज मेरे विचार में
देश नामक कुछ भी नहीं
तुम्हारा देश
मेरे देश में नहीं है
किंतु मेरा देश
तुम्हारे देश में किया है
आत्मगोपन…
यह चिह्नित करना होगा
अति सरल…!
कभी तो
मुक्त हृदय.. मुक्त कंठ से
एक बार मुझसे करो प्रश्न,
क्या देश नामक
कुछ है?
अद्भुत सुन्दर सृजन अनिमा जी।
धन्यवाद अश्रुतपूर्वा 🙏🌹🌹मेरे अनुसृजन को स्थान देने हेतु 🙏🌹💐अत्यंत आभारी हूँ 🙏🌹🙏
कवि रक्षत नायक को सुंदर सृजन एवं कवयित्री श्रीमती अनिमा दास जी को श्रेष्ठ अनुवाद के लिए हार्दिक बधाई 💐💐