कविता

मैं आधुनिक भारत हूँ

चित्र : साभार गूगल

रश्मि सिन्हा II

मैं आधुनिक भारत हूँ,
नित नई समस्याओं से भरा हुआ,
गगनचुम्बी है, आधुनिकता मेरी,
पर तरक्की से जुड़ा हुआ,
आलोचनाएं बदस्तूर जारी हैं,
किंतु निंदक नियरे की परिपाटी—
मुझे सही राह दिखलाती है,
मैं भारत हूँ—–

विश्व शक्तियां भी मुझसे, हाथ मिलाने को,
बेताब नजर आती हैं,
प्रतिभाओं की कमी नहीं,
सम्पूर्ण विश्व में अपने ज्ञान से,
नाम रौशन कर आती हैं,

प्रगति से कोई पक्ष नहीं अछूता,
गौरवशाली इतिहास में
वर्तमान भी योगदान दे जाएगा,
महाशक्ति बन कर उभरेगा,
ध्रुव तारे सा अटल सत्य,
मैं प्यारा भारत हूँ.

सांस्कृतिक विरासत बढ़ती जाती,
गायन, नर्तन, विभिन्न राग—-
योग, आध्यात्म डंका बजाते,
सैन्य शक्ति है अप्रतिम,अद्भुत,
दुश्मन को सदा धूल चटाते,
अहंकार विहीन,संविधान का रक्षक,
मानवता का पुजारी हूँ,
मैं भारत हूँ—-

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रश्मि सिन्हा

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