कविता काव्य कौमुदी

तुम मेरी कविताओं में आओगे

राकेश धर द्विवेदी II

जब रात चांदनी रो-रोकर
कोई गीत नया सुनाएगी,
ओस की बूंद बन कर
धरती पर वह छा जाएगी।
उसकी उस मौन व्यथा को
तुम शब्दों का रूप दे जाओगे,
प्रिय तुम मेरी कविताओं में आओगे।

जब आंसू बह कर के
कपोलों पर ठहरे होंगे,
जब काजल के शब्दों ने
कुछ गीत नए लिखे होंगे
तब इन गीतों के शब्दों में
तुम ध्वनि बन कर जाओगे,
प्रिय मेरी तुम मेरी कविताओं में आओगे।

जब पीड़ा अपने स्वर को
कैनवस पर मुखरित करेगी
गजल और गीत बन कर वो
मन-मंदिर को हर्षित करेगी
तब तुम श्याम की बांसुरी बन कर  
तन-मन को महकाओगे,
प्रिय तुम मेरी कविताओं में आओगे।

About the author

राकेश धर द्विवेदी

राकेश धर द्विवेदी समकालीन हिंदी लेखन के सशक्त हस्ताक्षर हैं। वे कवि हैं तो गीतकार भी। उनकी कई रचनाएं प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। द्विवेदी की सहृदयता उनकी रचनाओं में परिलक्षित होती है। उनकी कुछ रचनाओं की उपस्थिति यूट्यूब पर भी देखी जा सकती है, जिन्हें गायिका डिंपल भूमि ने स्वर दिया है।

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