सांवर अग्रवाल II
दादा का हाथ पकड़,
चल पड़ी है शहजादी,
घूमेंगे बाजार में मेला,
खूब मिली है आजादी।
दादा के संग खेलूं लूडो,
मैं दादा की प्यारी गुड्डो,
मुझको रखते हर पल पास,
संग खेलते मेरे ताश।
दादा कहते मुझको परी,
मेरे लिए लाते कैडबरी,
पहना कर दादा मुझको पायल,
हो जाते खुद भी पागल।
मुझे स्कूल से लेकर आते,
होमवर्क पूरा करवाते,
मम्मी से भी मुझे बचाते,
पापा को भी डांट लगाते।
कहते है मुझको रोज,
तुमको डॉक्टर बनना है,
जब मैं बीमार हो जाऊं,
मेरा इलाज तुमको करना है।