सांवर अग्रवाल II
बबली चिंकी मुनिया,
आओ आओ, जल्दी आओ,
अपनी थाली तुम ले जाओ,
पहले खाओ फिर पढ़ने जाओ।
हमारी मम्मी कितनी अच्छी है,
सुंदर से भात बनाती है,
नहीं थकती है वो कभी,
कभी गैस तो कभी अंगीठी है।
हमारी मम्मी की रसोई में
सामान सब मिल जाएंगे,
कहीं नमक तो कहीं चीनी
सलीके से नजर आएंगे।
थोड़ा बबली तुम और लो,
मुनिया तुम इसको बोलो,
चिंकी तो बेचारी छोटी है,
नहीं खा सकती वो रोटी है।
देखो-देखो बुआ आई,
समोसे लेकर पीपी आई,
बबली मुनिया दौड़े दरवाजे,
झट बुआ का झोला पकड़े।
चिंकी के मुंह में आया पानी,
उसने दिखाई अपनी शैतानी,
खाया समोसा, लग गई झाल,
हो गए उसके लाल लाल गाल।
ये देख मम्मी दौड़ी रसोई,
ले आई मीठा रसगुल्ला,
मस्त हुई चिंकी खाकर,
हंस पड़ा सारा मोहल्ला।