वंदना सहाय II
पांच साल का छोटा-सा चिक्की कहता-
अब चंदा मामा कहां है रहता?
पहले तो वह रोज था आता
ढेरों कहानियां मुझे सुनाता
जाने कहां हुआ अब उसका बसेरा
नहीं दिखे हुआ अपार्टमेंट घनेरा
भूल रहे हम उसकी कहानी
थक कर चुप हो गई है नानी
हम बच्चे खो गए मोबाइल गेमों में
उसकी बातें अब सोतीं हैं खेमों में
पहले मां जब मुझे थी सुलाती
ले तेरा नाम वह थी लोरी गाती
तेरे पास पहुंचना नहीं है आसान
सोच-सोच कर मैं हुआ परेशान
ढूंढ चंदा मामा, तू मिलने का बहाना
मां से बंधाने राखी तू जल्दी आना।
बंदर जी का सूट
बंदर जी ने सूट सिलाया, रंग था जिसका नीला
लिया ट्रायल जब सूट का तो पाया उसको ढीला
कहा दर्जी से-देखो, नहीं आयी इसकी अच्छी फिटिंग
कैसे मैं स्मार्ट दिखूंगा, कल ही है आॅफिस में मेरी मीटिंग
सुन बंदर जी की बातें, झट दर्जी मुस्काया-
ओह! तो ढीले फिटिंग का सूट पसंद नहीं आया
मुझे क्या, मैं तो इसे कर दूंगा पल भर में चुस्त
पर, आपको छोड़ बंदरपन, रहना होगा दुरुस्त
अगर पहन चुस्त सूट, ज्यादा उछल-कूद मचाएंगे
तो फटेगा सूट और आप अपनी नाक स्वयं कटाएंगे