अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली। इन दिनों दिल्ली और एनसीआर में बेतहाशा प्रदूषण है। लोग बेहाल हैं। आपके आसपास की हवा की कितनी खराब है, इसका पता लगाना लगाना अब मुश्किल नहीं। आइए इस बारे में थोड़ा जानने की कोशिश करते हैं। पहले यह जानिए कि हवा में प्रदूषण की मात्रा को मापने के लिए एअर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) का इस्तेमाल किया जाता है। इस सूचकांक यानी इंडेक्स की माप के आधार पर पता चल पाता है कि किसी जगह की हवा कितनी साफ है और सांस लेने लायक है या नहीं।
हवा कब होती है खतरनाक
वायु गुणवत्ता सूचकांक शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को अच्छा, 51 और 100 के बीच संतोषजनक, 101 और 200 के बीच मध्यम, 201 और 300 के बीच खराब, 301 और 400 के बीच बहुत खराब और 401 और 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है।
जब हवा का स्तर अस्वास्थ्यकर होता है तो सूक्ष्म कणों (पीएम 2.5) से कण प्रदूषण चिंता का विषय होता है। पीएम 2.5 के अस्वास्थ्यकर स्तर में सांस लेने से हृदय रोग, अस्थमा और जन्म के समय कम वजन जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। अस्वास्थ्यकर स्तर से दृश्यता भी कम हो सकती है और हवा धुंधली दिखाई दे सकती है।
क्या है पैमाना?
पीएम 2.5 और पीएम 10 क्या है? पीएम 2.5 और पीएम 10 वायु गुणवत्ता को मापने का पैमाना है। पीएम का मतलब होता है पार्टिकुलेट मैटर जो कि हवा के अंदर सूक्ष्म कणों को मापते हैं। पीएम 2.5 और 10 हवा में मौजूद कणों के आकार को मापते हैं। पीएम का आंकड़ा जितना कम होगा हवा में मौजूद कण उतने ही अधिक छोटे होंगे। पीएम 2.5 के फेफड़ों के गहरे हिस्सों में जाने और सतह पर जमा होने की अधिक संभावना है, जबकि पीएम 10 के फेफड़ों के ऊपरी क्षेत्र के बड़े वायु मार्गों की सतहों पर जमा होने की अधिक सं•ाावना है। फेफड़ों की सतह पर जमा कण ऊतक क्षति और फेफड़ों में सूजन पैदा कर सकते हैं।
ऐसे में क्या किया जाए
सबसे पहसे तो घर से बाहर निकलते समय हमेशा मास्क पहनें। घर के भातर इंडोर प्लांट्स लगाएं। स्नेक प्लांट या स्पाइडर प्लांट जैसे पौधे लगाएं। धूल जमे पत्ते को पानी से धोएं। एअर प्यूरीफायर का उपयोग कर सकते हैं। कालीन को साफ रखें। धुआं/ धूल से बचें। जहां तक संभव हो घर से कम निकलें। प्रदूषण फैलाने की वजह आप न बनें। (स्रोत : हील इनिशिएटिव)