हितोपदेश बाल वाटिका

समृद्धि व्यक्तित्व की देन है, भाग्य की नहीं

  1. निरोगी रहना, किसी का कर्जदार न होना, अच्छे लोगों से मेल रखना, अपनी आय से जीविका चलाना और निर्भय होकर रहना, ये मनुष्य के सुख हैं। -वेदव्यास
  2. जो व्यक्ति अपना पक्ष छोड़ कर दूसरे पक्ष से मिल जाता है, वह अपने पक्ष के नष्ट हो जाने पर स्वयं भी दूसरे पक्ष द्वारा नष्ट कर दिया जाता है। -वाल्मीकि
  3. हम संसार को गलत पढ़ते हैं और कहते हैं कि वह हमें धोखा देता है। -रवींद्रनाथ ठाकुर
  4. जो गुणी न हो, उसके सामने गुण नष्ट हो जाता है और कृतघ्न के साथ की गई उदारता नष्ट हो जाती है। – अज्ञात
  5. पूर्णतया निंदित या पूर्णतया प्रशंसित पुरुष न था, न होगा, न आजकल है। -धम्मपद
  6. प्रत्येक व्यक्ति सब बातों में निपुण नहीं हो सकता, प्रत्येक व्यक्ति की विशिष्ट उत्कृष्टता होती है। -यूरोपिटीज
  7. वीर कभी बड़े मौकों का इंतजार नहीं करते, छोटे मौकों को ही बड़ा बना देते हैं। -सरदार पूर्णसिंह
  8. धीरज होने से दरिद्रता भी शोभा देती है, धुले हुए होने से जीर्ण वस्त्र भी अच्छे लगते है- चाणक्यनीति
  9. समय आए बिना वज्रपात होने पर भी मृत्यु नहीं होती और समय आ जाने पर पुष्प भी प्राणी के प्राण ले लेता है।-कल्हण
  10. प्राप्त हुए धन का उपयोग करने में दो भूलें हुआ करती हैं, जिन्हें ध्यान में रखना चाहिए। अपात्र को धन देना और सुपात्र को धन न देना। – वेद व्यास
  11. संयम का अर्थ घुट-घुटकर जीना नहीं है, स्वस्थ पवन की तरह बहना है। -रांगेय राघव
  12. सुदिन सबके लिए आते हैं, किंतु टिकते उसी के पास हैं जो उनको पहचान कर आदर देता है। -अज्ञात
  13. अज्ञान सर्वत्र आदमी को पछाड़ता है और आदमी है कि सर्वत्र उससे लोहा लेने के लिए कमर कसे रहता है। -हजारी प्रसाद द्विवेदी
  14. समृद्धि व्यक्तित्व की देन है, भाग्य की नहीं। -चाणक्य

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ashrutpurva

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