धरोहर

दिल में कई विरासत सहेजे हुए है हरदोई

राजकिशोर त्रिपाठी II

उत्तर प्रदेश का हरदोई अनूठा शहर है। प्राचीनकाल में यह शहर राजा हिरण्यकश्यप की राजधानी हुआ करता था। हिण्यकश्यप ईश्वर में विश्वास नहीं करता था और इसी के चलते उसने हरदोई का नाम हरिद्रोही रख दिया था। हरदोई नाम हरि+द्रोही अर्थात जो भगवान से द्रोह करता हो। हिरणकश्यप ने भगवान भक्त पुत्र प्रह्लाद को प्रताड़ित करने के लिए तरह-तरह के जतन किए किन्तु प्रह्लाद की ईश्वरीय आस्था टस से मस नहीं हुई।
हिरण्यकश्यप ने अपनी पुत्री होलिका की गोद में प्रह्लाद को जलती चिता में बिठा दिया ताकि वह भस्म हो जाए। ईश्वरीय कृपा से प्रह्लाद जलती आग से भी सकुशल बच निकला। कहते हैं इसी घटना को लेकर आज भी बुराई पर अच्छाई की जीत के रुप में मनाया जाता है होली का त्योहार।
हिरणकश्यप ने अपनी तपस्या के बल पर भगवान से वरदान प्राप्त कर लिया था कि वह साल के बारह महीनों में कभी न मरे तो भगवान ने मलमास की रचना की। जिसके बाद नरसिंह अवतार लेकर भगवान ने उसका वध किया। अधिक मास अर्थात पुरुषोत्तम मास •ागवान विष्णु ने मानव के पुण्य के लिए ही बनाया है।
भारत संत-महात्माओं, महापुरुषों की धरती है उन्हीं में से एक उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में हरदोई वाले बाबा की तपस्थली है जिसे हरदोई के बाबा के नाम से जाना जाता है। बाबा में आस्था इस कदर व्याप्त है कि हरदोई में कोई भी आयोजन और संस्कार हरदोई बाबा के मंदिर में जाए बिना संपन्न नहीं होता है। कोई भी बड़ा राजनेता हरदोई आने के बाद बाबा के दरबार में जाना नहीं भूलता। बाबा के किस्से प्राचीन काल से लेकर अभी भी कई रहस्यों को अपने आप में समेटे है। करीब 400 वर्ष पुराने मंदिर में आज भी अपनी समस्या बता कर बाबा का आशीर्वाद लेते हैं लोग।

हरदोई जेल में नहीं दी जाती फांसी
अंग्रेजी हुकूमत के दौरान हरदोई जिले में जिला जेल के अंदर फांसी की सजा दी जाती थी। कहा जाता है कि किसी निर्दोष ने बाबा से आकर उसे फांसी दिए जाने की शिकायत की थी। जिस पर बाबा क्रोधित हो गए थे। बाबा के मना करने के बावजूद अंग्रेजी हुकूमत ने उस व्यक्ति को फांसी दे दी थी। फांसी देने के बाद भी फांसी दिए गए व्यक्ति की मृत्यु नहीं हुई थी। कहते हैं कि स्वप्न में आकर बाबा ने अंग्रेज जेलर से फांसी के तख्त को हरदोई से कहीं और ले जाने का आदेश दिया था। स्वप्न से डरे अंग्रेज जेलर ने फांसी के तख्त को हरदोई से हटा कर फतेहगढ़ जेल भेज दिया था। तब से लेकर के आज तक हरदोई जेल में फांसी की सजा नहीं दी जाती है। फांसी की सजा हरदोई में सुनाई तो जरूर जाती है, लेकिन यह फांसी फतेहगढ़ जेल में दी जाती है।
हरदोई में श्री बाबा मंदिर प्रमुख धार्मिक स्थान हैं। इस मंदिर के पास ही एक पुराना टीला है जिसे हिरण्यकश्यप के महल का खंडहर कहा जाता है। इसी के पास श्रवण देवी का मंदिर है। ऋषि शांडिल्य का बसाया हुआ संडीला एक प्रमुख शहर है। मान्यता है कि संडीला स्थित ‘हत्याहरण तीर्थ’ में स्नान करने के बाद मनुष्य को पाप से मुक्ति मिल जाती है। इसके अलावा प्रशासन की उपेक्षा का शिकार सांडी पक्षी विहार अभयारण्य, श्रवणदेवी मंदिर, भगवान शिव को समर्पित सकाहा शिव मंदिर, शाहाबाद में दिलेर शाह का मकबरा प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है।

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