धरोहर

लोकगीत कजरी के संरक्षण के लिए एक पहल

अश्रुत पूर्वा II

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में लोक महत्त्व के सांस्कृतिक धरोहरों और विधाओं को संरक्षित करने के लिए पहल हुई है। इस दिशा में मिर्जापुर प्रशासन ने लोक-गीत और संगीत के रूप में देश-दुनिया में विख्यात कजरी को महत्त्व देने के लिए कजरी स्मारक बनाया जा रहा है। कजरी वर्षा ऋतु में गाया जाने वाला लोकगीत है। यह अर्धशास्त्रीय गायन विधा है। यह उत्तर प्रदेश के गांवों-कस्बों खासकर मिर्जापुर, इलाहाबाद, वाराणसी और बिहार के भोजपुर इलाके में खूब गाया जाता है।
कजरी को उच्चारित करते हुए जितना अच्छा लगता है, उतना ही सुनना सुखद लगता है। आज जब कजरी गुम हो रही है, तो उसे फिर वही मिठास के साथ लौटने की अब पहल हो रही है। उत्तर प्रदेश में स्थानीय लोक संस्कृति और विधाओं को बचाने के प्रयास से कजरी खासकर मिर्जापुरी कजरी को नया जीवन मिलेगा। यह जन-जन के कंठ से फूटेगा।  
खबरों के मुताबिक मिर्जापुर में पंडित रामचंद्र शुक्ल पार्क को कजरी स्मारक बनाने के लिए चुना गया है। बताया गया है कि कजरी को जीवंत करने के लिए यहां पहाड़ और गांव का स्वरूप देने के साथ सभी वाद्य यंत्र भी रखे जाएंगे। यह प्रशासन की अच्छी पहल ही है खासतौर से ऐसे समय में जब आज की पीढ़ी लोक संस्कृति से विमुख होती जा रही है। सांस्कृतिक विरासत, मूल्यों और लोक संस्कृति के साथ विधाओं को बचाने का यह प्रयास सचमुच सराहनीय है।

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