बाल वाटिका हितोपदेश

कबीर के दोहे जो देंगे आपको नई सीख

कांकर पाथर जोरि के मस्जिद लियो बनाय
ता चढ़ि मुल्ला बांग दे क्या बहरा हुआ खुदाय।

पाथर पूजे हरि मिले, तो मैं पूजूं पहाड़।।
घर की चक्की कोई न पूजे, जाको पीस खाए संसार।।

माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोहे।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूंगी तोहे।।

काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।
पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा कब।।

बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर।
पंछिन को छाया नहीं फल लागें अति दूर।।

ज्यों तिल माहि तेल है, ज्यों चकमक में आग।
तेरा साईं तुझ में है, जाग सके तो जाग।।

जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होए।
यह आपा तो डाल दे, दया करे सब कोए।।

चलती चाकी देख के, दिया कबीरा रोय।
दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोय।।

राम बुलावा भेजिया, दिया कबीरा रोय।
जो सुख साधू संग में, सो बैकुंठ न होय।।

मालिन आवत देख के, कलियन कहे पुकार।
फूले फूले चुन लिए, कलि हमारी बार।।

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ashrutpurva

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