अश्रुत सुविचार II
- स्त्री पृथ्वी की भांति धैर्यवान है, शांतिसंपन्न है, सहिष्णु हैं : प्रेमचंद
- जो आदर्श नारी हो सकती है, वही आदर्श पत्नी भी हो सकती है। औरत के हाथ में बड़ी बरक्कत होती है : प्रेमचंद
- यदि कहीं कठोर अत्याचार और दुर्व्यहार के बदले में भी स्नेह और प्रेम हो सकता है, तो वह स्त्रियों में हो सकता हैं : शरतचन्द्र
- नारी को अबला कहना उसका अपमान करना है : महात्मा गांधी
- नारियां इसलिए अधिकार चाहती हैं कि उनका सदुपयोग करें और पुरूषों को उनका दुरुपयोग करने से रोकें : प्रेमचंद
- नारी की करुणा अंतर्जगत का उच्चतम विकास है जिसके बल पर समस्त सदाचार ठहरे हुए हैं : जयशंकर प्रसाद
- पवित्र नारी सृष्टिकर्ता की सर्वोत्तम कृति होती है; वह सृष्टि के संपूर्ण सौंदर्य को आत्मसात किए रहती हैं : रवीन्द्रनाथ ठाकुर
- नारी सदैव अजेय रही हैं : महादेवी वर्मा
- स्त्रियों की स्थिति में सुधार न होने तक विश्व के कल्याण की कोई कल्पना नहीं हो सकती। किसी पंछी का एक पंख के सहारे उड़ना बिलकुल असंभव हैं : अज्ञात
- नारी का मोह शरीर छूने के पहले विवेक को छू लेता है : कालिदास