धैर्य का छोटा हिस्सा भी एक टन उपदेश से बेहतर है। गौरव लक्ष्य पाने के लिए कोशिश करने में हैं, न कि लक्ष्य तक पहुंचने में।
गांधी जी ने कहा कि सबसे महत्त्वपूर्ण लड़ाई लड़ने के लिए अपने दुष्टात्माओं, भय और असुरक्षा जैसे तत्वों पर विजय पाना है। गांधी जी ने अपने विचारों को सबसे पहले उस समय संक्षेप में व्यक्त किया जब उन्होंने कहा, ईश्वर ही सत्य है। बाद में उन्होंने अपने इस कथन को सत्य ही भगवान है, में बदल दिया। इसी तरह उन्होंने कहा था कि आजादी का कोई अर्थ नहीं है यदि इसमें गलतियां करने की आजादी शामिल न हों। यह भी कि डर शरीर का रोग नहीं है, यह आत्मा को मारता है।
उफनते तूफान को मात देना है तो अधिक जोखिम उठाते हुए हमें पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़ना होगा।
ऐसे जिएं कि जैसे आपको कल मरना है और सीखें ऐसे जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है।
आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी।
किसी भी स्वाभिमानी व्यक्ति के लिए सोने की बेड़ियां, लोहे की बेड़ियों से कम कठोर नहीं होगी। चुभन धातु में नहीं वरन बेड़ियों में होती है।
गुलाब को उपदेश देने की आवश्यकता नहीं होती। वह तो केवल अपनी खुशबू बिखेरता है। उसकी खुशबू ही उसका संदेश है।
निशस्त्र अहिंसा की शक्ति किसी भी परिस्थिति में सशस्त्र शक्ति से सर्वश्रेष्ठ होगी।
स्वतंत्रता एक जन्म की भांति है। जब तक हम पूर्णत: स्वतंत्र नहीं हो जाते, तब तक हम परतंत्र ही रहेंगे।
क्रूरता का उत्तर क्रूरता से देने का अर्थ अपने नैतिक व बौद्धिक पतन को स्वीकार करना है।