अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली। एक दौर था जब लोग एक दूसरे को चिट्ठी लिखते थे। डाकिए का बेसब्री से इंतजार करते थे। पत्रों से संवाद लोगों का पारंपरिक माध्यम था। क्योंकि तब लोगों के घरों में फोन तक नहीं होते थे। कोई किसी को स्टेशन छोड़ने जाता तो उसे कहते कि अपनी कुशलता का समाचार भेजना। और फिर लोग डाकिए की राह देखते। पोस्टकार्ड और अंतरदेशीय पत्र की यादें आज भी ताजा हैं। उन्ही यादों को संजोने के लिए दिल्ली में एक प्रदर्शनी लगाई गई।
इंडिया हैबिटाट सेंटर में लगी इस प्रदर्शनी में मन की बात को अपने नजदीकियों को भेजने वाले पोस्टकार्ड के जरिए बताया गया था। इसे कला प्रेमियों ने खूब पसंद किया। उत्सव समूह की ऋतु सक्सेना के मुताबिक यह एक अनोखी प्रदर्शनी थी। यह तीसरा सफल आयोजन था। ऋतु के मुताबिक उनका उद्देश्य उस युग को संजोना था जब हम चिट्ठियों का और डाकिए की प्रतीक्षा करते थे।
उन्होंने कहा कि उन पुरानी यादों को एक बार फिर संजोने का प्रयास किया गया। यह अपने आप में अनूठा आयोजन था। इसमें कला जगत से बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। इस कार्यक्रम में लोगों में पुरानी चिट्ठियां तो देखी ही इसके साथ उत्सव समूह के कालाकारों का हुनर भी देखा। इस दौरान चित्रों और मूर्तियों के अलावा पुराने फोटोग्राफ भी देखने को मिले।