अश्रुत तत्क्षण

लेखक संजीव कुमार का अभिनंदन

अश्रुत पूर्वा II

नई दिल्ली। साहित्यकार संजीव कुमार का पिछले दिनों बीकानेर में अभिनंदन किया गया। साझी विरासत की अगुआई में हुए समारोह के मुख्य अतिथि महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मनोज दीक्षित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कवि-कथाकार राजेंद्र जोशी ने की। विशिष्ट अतिथि थे साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार। समारोह धरणीधर रंगमंच पर आयोजित किया गया।
इस अवसर पर संपादक और व्यंग्यकार डॉ. अजय जोशी ने डॉ. संजीव कुमार के कृतित्व पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि इन्होंने 196 पुस्तकें लिख कर कीर्तिमान स्थापित किया है। इन पुस्तकों में 16 प्रबंध काव्य, 51 कविता संग्रह, 26 बाल साहित्य, सात आलोचनात्मक ग्रंथ, चार व्यंग्य ग्रंथ, सात प्रसंग संग्रह, 15 लोक साहित्य और 70 संपादित पुस्तकें हैं।
कथाकार राजेंद्र जोशी ने कहा कि संजीव कुमार कानून विषय से संबंधित 40 पुस्तकें  भी पाठकों को दी। जोशी ने कहा कि वे निरंतर रचते है। वाणिज्य के विद्यार्थी होते हुए भी साहित्य में उनका हस्तक्षेप निरंतर बना रहता है। जोशी ने कहा कि हिंदी साहित्य की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘अनुस्वार’ और ‘विधि नायक’ के मुख्य संपादक संजीव कुमार बीपीए फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष भी है। वे इंडिया नेटबुक्स के माध्यम से देशभर के अनेक साहित्यकारों की पुस्तकें निशुल्क रूप से प्रकाशित करवाते हैं। योग्यता के आधार पर देश भर के लेखकों को पुरस्कृत भी करते रहे हैं।
कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथि मनोज दीक्षित ने कहा कि लेखन में निरंतरता आवश्यक है और यह भी प्रतिबद्धता की बात है कि वाणिज्य का विद्यार्थी साहित्य जगत में लगातार काम कर रहे हैं। विशिष्ट अतिथि राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि वर्तमान दौर में  लिखना और प्रकाशित करवाना बहुत महत्त्वपूर्ण कार्य है।
डॉ संजीव कुमार के अभिनंदन पत्र का वाचन लेखक आत्माराम भाटी ने किया। इस अवसर पर संजीव कुमार ने कहा कि उन्हें लिखने की ऊर्जा देश भर के पाठकों से मिलती है और वह निरंतर रचने को साधना के रूप में लेते है। इस अवसर पर अतिथियों ने उनको शाल, श्रीफल, अभिनंदन पत्र एवं स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।

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