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मौजूदा दौर में लेखकों का दायित्व बढ़ा : गिरीश गौतम

स्थापना दिवस समारोह में मंच पर आसीन अतिथि। फोटो - अश्रुत पूर्वा

अश्रुत पूर्वा डेस्क II

नई दिल्ली। चर्चित साहित्यिक वेब पोर्टल अश्रुत पूर्वा डॉट कॉम के स्थापना दिवस समारोह में मध्य प्रदेश विधानसभाा के अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कि सामाजिक मूल्यों में आई गिरावट कोई इस सदी की घटना नहीं है। उन्होंने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि हमें यह जानना होगा कि यह क्षरण कहां हो रहा है। उन्होंने मोबाइल के बढ़ते उपयोग की चर्चा करते हुए कहा कि हम एक अलग दुनिया में खो रहे हैं। मोबाइल से आत्मीयता नहीं बढ़ रही है। आत्मीयता और सूचना में फर्क है। हमें आत्मीयता को बचाना होगा।

श्री गौतम ने कहा मूल्यों में गिरावट के लिए युवाओं को दोष देने से काम नहीं चलेगा। अगर मूल्यों के क्षरण को रोकना है तो संस्कारों को फिर से जगाना होगा। यह काम लेखक-कवि और साहित्यकार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा हमले हमारे सनातन धर्म पर हुए। मगर हम मजबूती से डटे रहे। इसलिए खुद को बचा सके। आज युवाओं को दिशा देने की जरूरत है। उन्हें प्रकाशवान बनाने की जरूरत है। कोई भी दौड़ दोनों पांव उठा कर नहीं जीती जा सकती। हमें अपना एक पांव जमीन पर रखना होगा।

कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई। अश्रुत पूर्वा की संस्थापक डॉ. सांत्वना श्रीकांत और कवयित्री लिली मित्रा ने स्वागत वक्तव्य दिया, जिसमें उन्होंने अश्रुत पूर्वा की साल भर की यात्रा के बारे में बताया।  

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री तरुण विजय ने कहा कि जिस देश की भाषा जीवित है उस देश की आत्मा जीवित है। जिस देश की भाषा पर आक्रमण हो, उस देश के भविष्य का क्षरण शुरू हो जाता है। हिंदी और संस्कृत भारत के मर्म की भाषा है। जो आनंद अपनी भाषा में है वह दुनिया की किसी भाषा में नहीं है। हम अपने लोगों को अपनी भाषा से दूर कर रहे हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। हमें हमारी भाषा ही बचाती है। आज पत्रकारिता में सबसे ज्यादा संहार अपनी भाषा का हो रहा है। उसमें अनावश्यक रूप से अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग हो रहा है। इसका कोई विरोध नहीं होता।

  • तरुण विजय ने हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में अंग्रेजी शीर्षकों पर भी सवाल उठाया।  उन्होंने कहा कि हम अपनी भाषा के प्रति अनुराग रखें, तभी देश आगे बढ़ेगा। हमें खुद को बचाना है, इसलिए हिंदी बोलना है, यह कहना प्रारंभ कीजिए। 

तरुण विजय ने हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में अंग्रेजी शीर्षकों पर भी सवाल उठाया।  उन्होंने कहा कि हम अपनी भाषा के प्रति अनुराग रखें, तभी देश आगे बढ़ेगा। हमें खुद को बचाना है, इसलिए हिंदी बोलना है, यह कहना प्रारंभ कीजिए।

उद्घाटन कायक्रम की अध्यक्षता कर रहे साहित्यकार ‘रामेश्वर कांबोज हिंमाशु’ ने संस्कृति और भाषा में आ रही विपन्नता पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि  हिंदी में भाषाई अनुवाद के कार्य को आगे बढ़ाना होगा। हमें अपनी भाषाओं की ओर लौटना होगा।

तीन सत्रों में आयोजित कार्यक्रम में अश्रुत परिसंवाद भी हुआ। जिसकी अध्यक्षता आलोचक एवं कला समीक्षक ज्योतिष जोशी ने की। विषय था- सामाजिक मूल्यों का संकट और युवा। संवाद सत्र में वरिष्ठ साहित्यकार चंद्रिका चंद्र, लेखक-पत्रकार मधुकर उपाध्याय, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय में अनुवाद पीठ के निदेशक राजेंद्र प्रसाद पांडेय और कथाकार सूर्यनाथ सिंह ने हिस्सा लिया।  

इसके बाद अश्रुत पूर्वा सम्मान समारोह हुआ। जिसमें अपने क्षेत्र में विशिष्ट कार्य कर रहे लोगों और आमंत्रित अतिथियों को सम्मानित किया गया।

समारोह में अश्रुत पूर्वा की तीन ई-पुस्तकों का लोकार्पण भी हुआ।

इस अवसर पर अश्रुत पूर्वा काव्य पाठ का आयोजन किया गया। अध्यक्षता प्रकाशन विभाग की मासिक पत्रिका आजकल के प्रधान संपादक श्री राकेशरेणु की। इस आयोजन में अंतरराष्ट्रीय अध्ययन प्रभाग के निदेशक श्री जितेंद्र प्रसाद, लेखक-कवि श्री राधेश्याम तिवारी, फिल्म सेंसर बोर्ड के सलाहकार सदस्य श्री नरेश शांडिल्य, चित्रकार-कवयित्री सुश्री वाज़दा खान, साहित्य अकादेमी के संपादक श्री कुमार अनुपम, सर्वभाषा ट्रस्ट के संपादक श्री केशव मोहन पांडेय, कवयित्री लिली मित्रा और डॉ. सांत्वना श्रीकांत सम्मिलित हुईं। अंत में आयोजन के संचालक श्री राजेश्वर वशिष्ठ ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

मां सरस्वती की तस्वीर पर माल्यार्पण कर मंच की ओर प्रस्थान करते मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष श्री गिरीश गौतम। फोटो – अश्रुत पूर्वा

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