अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली। ओड़िया के प्रसिद्ध कवि और लेखक जयंत महापात्र का कटक में निधन हो गया। वे एससीबी मेडिकल कालेज अस्पताल में कुछ दिनों से भर्ती थे। उम्र संबंधी बीमारियों के कारण उन्हें चार अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालत बिगड़ने पर उन्हें सघन चिकित्सा कक्ष में ले जाया गया था। महापात्र 95 साल के थे। राजकीय सम्मान के साथ सोमवार को उन्हें अंतिम विदाई दी गई।
महापात्र को उनकी रचनाशीलता का सदैव सम्मान मिला। उन्हें साहित्य अकादेमी पुरस्कार दिया गया। अंग्रेजी कविताओं के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार पाने वाले वे पहले भारतीय कवि थे। उन्हें 2009 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। साल 2015 में देश में असहिष्णुता बढ़ने का हवाला देते हुए उन्होंने पुरस्कार लौटा दिया था।
महापात्र ने कविताओं पर 27 पुस्तकें लिखी। जिनमें सात पुस्तकें ओड़िया में बाकी अंगेरजी में है। उनका आधुनिक भारतीय अंग्रेजी साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने पुस्तक ‘इंडियन समर एंड हंगर’ लिख कर काफी ख्याति अर्जित की। कटक जिले में साल 1928 में जन्मे जयंत महापात्र कई बरसों तक भौतिकी पढ़ाते रहे। उन्होंने कई कालेजों में सेवाएं दीं।
ओड़ीशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने गहरा दुख जताते हुए कहा कि महापात्र ने ओड़िया और अंग्रेजी दोनों में साहित्य की रचना की। वे विख्यात लेखक और कवि थे। उन्होंने उड़िया साहित्य को लोगों तक पहुंचाया। उनके ज्ञान और मेधा से युवा पीढ़ी अंग्रेजी साहित्य रचने के लिए प्रेरित होगी।