अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली। सार्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कृत्रिम मेधा का डर न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर के लेखकों में पसरा है। हालांकि एआई से सीधे तौर पर या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि कृत्रिम मेधा से लेखकों को डरने की जरूरत नहीं। उनकी सृजनात्मकता का इससे प्रसार होगा और दुनिया के किसी भी लेखक के साहित्य से वे जुड़ भी सकेंगे।
भारत में दबे पांव तकनीक में अपनी जगह बना रहे ओपनआई का लेखक और बड़े साहित्यकार विरोध कह ही रहे थे कि खबर आई है कि दुनिया के जाने माने लेखक भी इसके विरोध में आ गए हैं। जॉन ग्रिशम, जोडी पिकैल्ट और गेम आफ थ्रोंस के उपन्यासकार जॉज आरआर भी खुल कर आगे आ गए हैं। ये उन 17 अंतरराष्ट्रीय लेखकों में शामिल हैं जिन्होंने ओपन एआई पर मुकदमा दायर कर दिया है। अब वे अदालत से गुहार लगे रहे हैं।
दुनिया के इन तमाम बड़े लेखकों का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोगाम चैटजीपीटी उनसे बिना अनुमति लिए उनके कापीराइट वाले कामों और उनकी कृतियों का इस्तेमाल कर रहा है। यही नहीं जेनेरिक एआई प्रोवाइडर्स के खिलाफ आथर्स गिल्ड ने जो मुकदमा किया है उसमें अन्य लेखकों के साथ विजुअल कलाकार और सोर्स कोड ओनर भी शामिल हैं।