अश्रुत तत्क्षण

अमृता से मिलने चले गए इमरोज

डॉ. सांत्वना श्रीकांत II

नई दिल्ली। दिल से कवि और मन से चित्रकार इमरोज चले गए। उन्हें जाना ही था। कोई कैसे सौ साल पूरा करे अपने जीवन का, अपनी मित्र के बिना। सो चले गए इमरोज 97 साल की उम्र में। उन्हें जाना ही था। यादों के सहारे कोई कितना जिए। फिर कई बीमारियों की गठरी भी लदी हुई थी उन पर। खाना तक ठीक से खाया नहीं जाता था। पाइप के सहारे जीने के लिए खा रहे थे। शरीर साथ छोड़ रहा था। खबरों के मुताबिक उन्हें अस्पताल में भी भर्ती कराया गया। कई दिनों से उनकी सेहत बिगड़ रही थी। आखिरकार शुक्रवार को मुंबई में उन्होंने अंतिम सांस ली।
इमरोज का असल नाम इंद्र सिंह था। कवयित्री अमृता प्रीतम से अपने रिश्तों को लेकर वे दशकों चर्चा में रहे। उन्होंने एक सच्चे मित्र की तरह बरसों साथ निभाया। साहित्य में साहिर-अमृता-इमरोज जैसा त्रिकोणात्मक प्रेम दुर्लभ है। उनके करीबी कहते हैं कि अमृता के जाने के बाद एक दिन के लिए भी वे नहीं भूल सके। उनको लगता था कि अमृता कहीं गई ही नहीं हैं। वे अपने बनाए चित्रों में भी अपनी प्रिय मित्र और कवयित्री के प्रति अपने लगाव को महसूस करते थे।
साहिर से गहरे प्रेम के बावजूद इमरोज के प्रति अमृता का झुकाव था। यह सम्मान था या स्नेह, इतना तो नहीं पता मगर वे अक्सर कहती थीं-  अजनबी तुम मुझे जिंदगी की शाम में क्यों मिले, मिलना ही था तो दोपहर में मिलते। यह कह कर क्या जताना चाहती थी उस इमरोज को जिसे वे प्यार से जीत बुलाया करती थीं। इमरोज साहब को ही देखिए बिना शादी किए वे 40 साल एक सच्चे दोस्त बन कर साथ रहे एक घर में। पंजाबी और हिंदी की इस मशहूर लेखिका का वे हर पल साथ देते रहे। सहजीवन का ऐसा उदाहरण दुनिया में शायद ही मिले।
अमृता प्रीतम के 2005 में निधन के बाद इमरोज अकेले हो गए। वे गुमनामी का जीवन जी रहे थे। दिल्ली से राब्ता टूटा तो मुंबई चले गए। अमृता के बिना उनका अकेलापन खा रहा था। पिछले दो दशक से अमृता की जब भी याद आती लोगों को, तो इमरोज साहब की चर्चा जरूर होती। लेकिन सब जानते हैं कि इमरोज अमृता के जीवन के एकमात्र पुरुष नहीं थे। अपनी मशहूर रचना ‘रसीदी टिकट’ में लेखिका ने लिखा है कि इमरोज उनके जीवन के तीसरे पुरुष थे। … पहला पुरुष प्रीतम सिंह थे। जिनसे उनकी शादी हुई थी। और जिनके नाम के साथ जिया उन्होंने। इसके बाद साहिर से प्रेम हुआ। मगर संग निभाया तो इमरोज ने। दो दिलों की यह यात्रा बेशक आज समाप्त हो गई हो, मगर शब्दों में यह प्रेम कहानी सदियों धड़कती रहेगी।

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