अश्रुत तत्क्षण

भारतीय भाषा परिषद् और वाराही के मंच पर एक शाम, कविताओं के नाम

अश्रुत पूर्वा II

नई दिल्ली। पिछले दिनों कोलकाता महानगर की साहित्यिक संस्था भारतीय भाषा परिषद् एवं ‘वाराही’ के संयुक्त तत्वावधान में कवि सम्मेलन का आयोजन भारतीय भाषा परिषद् के सभागार में किया गया। इसमें कोलकाता के दिग्गज कलमकारों ने अपने कलम का जादू बिखेरा। परिषद् की अध्यक्ष डॉ० कुसुम खेमानी की अध्यक्षता में हुए इस कार्यक्रम में कार्यक्रम समन्वयक थे आशीष झुनझुनवाला और संयोजक थे ‘वाराही’ के सचिव अरुण कुमार। संचालन का भार संभाला ‘वाराही’ संस्था की अध्यक्ष और संस्थापक नीता अनामिका ने। कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ कुसुम खेमानी  के स्वागत भाषण से हुआ।
इस अवसर पर कोलकाता के जाने माने साहित्यकार दिवंगत आशुतोष की आत्मा की शांति के लिए सभाागार में उपस्थित सभी सुधीजनों ने दो मिनट का मौन रख कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद ‘वाराही’ ने डॉ० कुसुम खेमानी ,परिषद के निदेशक डॉ शंभुुनाथ जायसवाल और आशीष झुनझुनवाला का सम्मान किया।
समस्त रचनाधर्मियों ने अपनी उत्कृष्ट रचनाएं प्रस्तुत कर सभी का ह्रदय जीत लिया। काव्य पाठ का आगाज किया प्रणति ठाकुर ने अपनी वात्सल्य भरी कविता स्वर्णा सुना कर। उसके बाद डॉ. अभिज्ञात की रचना ‘आदमी वैसे तो खरा हूँ मैं’, सुन कर सभी भाव विभोर हो उठे। फिर नीता अनामिका अपनी रचना ‘भूलना महत्वपूर्ण है’, ‘मंगल’ एवं ‘हां मैं जल्दी में हूँ’ सुना कर खूब तालियां बटोरीें। घुँघरू परमार ने अपनी रचनाएं ‘भूतनाथ मंदिर’, ‘शंभूूलाल पंडित स्ट्रीट’ एवं ‘रवीन्द्रनाथ’ प्रस्तुत कर एक व्यंग्यात्मक एवं चित्रात्मक काव्य जगत का सृजन किया। फिर आनंद गुप्ता ने अपनी कविता हुगली के तट पर सुना कर हुगली नदी को मानो सभी की आंखों के समक्ष प्रस्तुत कर दिया। डॉ० मनोज मिश्र की रचना ‘रुपया तुम हो महान’ और ‘लंकेश’ को श्रोताओं ने खूब सराहा।
जीतेंद्र जीतान्शु ने अपने निराले अंदाज में ‘सोलह दूनी आठ’ एवं ‘नए वर्ष की शाम’ सुना कर सभी को झकझोरा तो सेराज खां बातिश ने ‘अंतत: अपनी रचनाएं जी रहा हूं महानगर की तरह’, ‘कोई रखता नहीं किसी की खबर’ सुनाई और कार्यक्रम को चरमोत्कर्ष पर पहुंचा दिया इस अवसर पर वाराही की ओर से केयूर मजमूदार, रामाकांत सिन्हा, स्वागता बासु, वंदना पाठक, आलोक चौधरी एवं विकास ठाकुर ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना विशेष योगदान दिया।
परिषद् की ओर से डॉ. शम्भुनाथ, विमला पोद्दार, डॉ. राजश्री शुक्ला, मीनाक्षी दत्ता, घनश्याम सुगला, सुशील कान्ति आदि का भी विशेष सहयोग रहा। इनके अलावा कोलकाता के जाने माने कलमकार चंद्रिका प्रसाद पाण्डेय अनुरागी, नंदलाल रौशन, डॉ० शिप्रा मिश्रा, हिमाद्री मिश्रा, अल्पना सिंह, रणजीत भारती, रवींद्र श्रीवास्तव, जीवन सिंह, राम नारायण झा, मीनाक्षी सांगानेरिया, रीता चंद्रा पात्रा, राज घोष आदि •ाी श्रोताओं के रूप में उपस्थित रहे। अंत में, डॉ. शम्भूूनाथ के धन्यवाद ज्ञापन के साथ ही यह कार्यक्रम संपन्न हुआ।

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