अश्रुतपूर्वा फाउंडेशन की संस्थापक और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. सांत्वना श्रीकांत समाज में महिला सशक्तिकरण में एक ऐसे समाज का निर्माण करने के लिए प्रत्यनशील हैं जहां महिलाएं उत्पीड़न, शोषण, भेदभाव की भावना के बिना आत्मनिर्भर बनें। महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को सीधे ग्राहक से जोड़ने के लिए जागरूक बनाना जिससे उनके उत्पाद का अधिक से अधिक मूल्य मिल सके। श्रम शक्ति में महिलाओं की भागीदारी एवं समाज में फैली कुरीतियों, घरेलू हिंसा, महिलाओं पर होने वाले उत्पीड़न को दूर करने के लिए सांत्वना श्रीकांत महिला समूहों को बनाकर उन्हें शिक्षित करने का काम कर रही हैं।
डॉ. सांत्वना श्रीकांत का मानना है कि महिलाओं की प्रगति के बिना सामाजिक प्रगति नहीं हो सकती। पर्यावरण संरक्षण को लेकर महिलाओं में जागरूकता बढ़ा रही हैं। उनका मानना है कि महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण है। इसलिए आज वे आधी आबादी के जीवन स्तर को सुधारने के लिए अनेक महिलाओं की मदद कर रही हैं।
- समानता का अधिकार: महिलाओं और पुरुषों के बीच भेदभाव को खत्म कर समानता लाना।
- शिक्षा का अधिकार: हर महिला को शिक्षित बनाना ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।
- आर्थिक सुरक्षा: महिलाओं को रोजगार के अवसर देकर आर्थिक रूप से सशक्त बनाना।
- स्वास्थ्य और सुरक्षा: महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाना।
- नेतृत्व और निर्णय क्षमता: महिलाओं को राजनीति और समाज में नेतृत्व के अवसर देना।
महिला सशक्तिकरण केवल महिलाओं के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज की उन्नति के लिए जरूरी है। जब महिलाएँ सशक्त होंगी, तब समाज और देश दोनों मजबूत बनेंगे।