सभा-संगोष्ठी

‘नटी बिनोदिनी’ पर संगोष्ठी और कवि सम्मेलन

अश्रुतपूर्वा संवाद II

नई दिल्ली। कोलकाता महानगर की साहित्यिक संस्था ‘वाराही’ द्वारा बड़ा बाज़ार लाइब्रेरी के विष्णुकांत शास्त्री सभागार में, प्रख्यात नाटककार प्रताप जायसवाल द्वारा अनुवादित हिंदी नाटक ‘नटी बिनोदिनी’ पर संगोष्ठी हुई। इसी के साथ एक कवि सम्मेलन का आयोजन ‘वाराही’ की अध्यक्ष नीता अनामिका एवं सचिव अरुण कुमार के संयोजन में किया गया।
कार्यक्रम के पहले सत्र में प्रताप जायसवाल एवं आलोकपर्णा गुहा ने बहुचर्चित हिंदी नाटक ‘नटी बिनोदिनी’ से जुड़ा कुछ अंश, संवाद रूप में प्रस्तुत किया गया एवं इनके साथ साथ ‘वाराही’ ने कवि सम्मेलन आयोजित किया।
रविवार, 15 दिसंबर को कोलकाता महानगर की साहित्यिक संस्था ‘वाराही’ द्वारा प्रख्यात नाटककार प्रताप जायसवाल द्वारा अनुवादित हिंदी नाटक ‘नटी बिनोदिनी’ पर संगोष्ठी हुई। एक कवि सम्मेलन का आयोजन वाराही की अध्यक्ष नीता अनामिका एवं सचिव अरुण कुमार के संयोजन में किया गया| कार्यक्रम के पहले सत्र में प्रताप जायसवाल एवं आलोकपर्णा गुहा द्वारा बहुचर्चित हिंदी नाटक ‘नटी बिनोदिनी’ से जुड़ा कुछ अंश, संवाद रूप में प्रस्तुत किया गया एवं इनके साथ साथ बांग्ला सिनेमा की अभिनेत्री सारबोरी मुखर्जी, रंगकर्मी खुर्शीद इकराम मन्ना, प्रेम कपूर एवं राज मिठौलिया ने भी इस बहुचर्चित नाटक पर अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए। इस सत्र का संचालन नीता अनामिका ने किया।
यूनिवर्सल लिटिल थिएटर द्वारा आयोजित नाटक नटी बिनोदिनी का मंचन 22 दिसंबर, को
गिरीश मंच, कोलकाता में शाम छह बजे होने जा रहा है। गिरीश घोष के प्रति श्रद्धांजलि देने के लिए इस नाटक का प्रवेश निशुल्क है।
दूसरे सत्र में कवि सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसकी अध्यक्षता की नन्दलाल रौशन ने की और संचालन किया रामाकांत सिन्हा ने। सत्र का प्रारंभ हुआ आलोक चौधरी द्वारा गणेश वन्दना के साथ। उसके बाद उपस्थित सभी कवियों और कवयित्रियों ने अपनी रचनाओं की प्रस्तुति देकर कार्यक्रम को यादगार बना दिया। इन रचनाओं में नंदलाल रौशन की ‘ज़िन्दगी तुझको बहुत प्यार से पाला मैंने’, डॉ. ऊषा साव की ‘सलाम करने को जी चाहता है’, दयाशंकर मिश्र की ‘रामदुलारे की दुल्हनिया फोन चलाना सीख गई है’, रणजीत भारती की ‘धरती बांटी अम्बर बांटा, मत बांटो इंसान को’ एवं नीता अनामिका की ‘दृष्टिकोण’ विशेष रूप से उल्लेखनीय रहीं ‌ अन्य जिन कलमकारों ने अपना काव्य पाठ किया वे हैं रामाकांत सिन्हा, शफिकुद्दीन शायन, पुनीत अग्रवाल, शकील गौंडवी, डॉ. शिप्रा मिश्रा, नंदू बिहारी, डॉ. मीना विष्णु, आलोक चौधरी, बिकास ठाकुर, प्रदीप धानुक, रामनारायण झा, कालिका प्रसाद उपाध्याय अशेष एवं ओमप्रकाश चौबे।
इस बहुआयामी कार्यक्रम में, उमा मेहता जायसवाल, ऊषा जैन, अखिलेश पाठक, शंकर साव, शेख इन्जमामुद्दीन, बिन्तेश पाण्डे, रौनिका, शकील अफरोज़, मृत्तिका घोष, देबांग्शु, रितोर्मी घोष, अरुण गुप्ता, मोहम्मद अरशद, शेख शब्बीर हुसैन, एस.एच. रशीद, विनीत शर्मा, मनोज कुमार सिंह, संजीव राय, अभिजीत कुमार रॉय, शकील खान, अबार अहमद, अदनान अहमद, मोहम्मद मोहसिन आदि भी उपस्थित रहे। धन्यवाद ज्ञापन के साथ ही यह कार्यक्रम संपन्न हुआ। रंगकर्मी खुर्शीद इकराम मन्ना, प्रेम कपूर एवं राज मिठौलिया ने भी बहुचर्चित नाटक से जुड़ी प्रेस कांफ्रेंस में वक्तव्य दिए।

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Ashrut Purva

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