सभा-संगोष्ठी

नई उत्सुकता पैदा करता ‘एक नया ईश्वर’

अश्रुत पूर्वा II

नई दिल्ली। वरिष्ठ पत्रकार व लेखक बलबीर पुंज ने कहा कि काव्य संग्रह ‘एक नया ईश्वर’ एक नई उत्सुकता पैदा करता है। हम सभी किसी न किसी स्तर पर सुख-दुख झेलते हैं। उन्होंने कहा कि आत्म लिखने से पहले पढ़ना चाहिए। लेखक वही हो सकता है जो अच्छा पाठक हो। वे तजेंद्र सिंह लूथरा काव्य संग्रह के लोकार्पण के मौके पर बोल रहे थे।  
कवयित्री डॉ. किरण मिश्रा ने लूथरा को उनके नए कविता संग्रह के लिए बधाई देते हुए पुस्तक से ‘अरबी घोड़ा’ कविता का वाचन किया। उन्होंने कहा, अरबी घोड़ा पढ़ कर लगा आज का मनुष्य घनीभूत नियम से हट कर अपने नियम गढ़ना चाहता है। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए प्रताप राव कदम ने भी अपने विचार साझा किए।
माखनलाल चतुवेर्दी शासकीय स्नातकोत्तर कन्या महाविद्यालय, खंडवा में प्राध्यापक प्रताप राव कदम ने पुस्तक की प्रशंसा करते हुए कहा, दुख लिखने के लिए प्रेरित करता है। प्रो. सुधा ने तजेंद्र लूथरा को बधाई देते हुए कहा, कवि होने के लिए अनुभव, स्मृतियां व निरीक्षक होना अनिवार्य होता है। तेजेंद्र जी में ये सभी गुण हैं। उन्होंने नामवर जी को उद्घृत करते हुए कहा, कविता को थम कर पढ़ना चाहिए और पढ़ कर थमना चाहिए। इससे यह सिद्ध होता है कि यह संग्रह केवल नए ईश्वर का नहीं बल्कि नए आदमी का भी है।
गगन गिल ने तजेंद्र को नए कविता संग्रह के लिए बधाई देते हुए कहा,  अरसे बाद कविता की किताब ने द्रवित किया। इन कविताओं ने मेरे अंदर की मानवीयता का विस्तार किया हैं। प्रयाग शुक्ल ने इस कविता संग्रह को सामाजिक जीवन के साधारण प्रसंग का संग्रह कहा।
वाणी से प्रकाशित वरिष्ठ कवि और आइपीएस अधिकारी तजेंद्र सिंह लूथरा के नए कविता संग्रह ‘एक नया ईश्वर’  के  लोकार्पण व परिचर्चा का आयोजन पिछले दिनों इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कवि प्रयाग शुक्ल ने की। इस मौके पर मुख्य वक्ता कवयित्री गगन गिल, लेखिका सुधा उपाध्याय, वरिष्ठ आलोचक व कवि प्रताप राव कदम, आलोचक डॉ.  किरण मिश्रा, वरिष्ठ पत्रकार बलबीर पुंज और पुस्तक के लेखक तजेंद्र सिंह लूथरा उपस्थित रहे। साथ ही वाणी प्रकाशन ग्रुप के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक अरुण माहेश्वरी और कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल का सान्निध्य रहा। कार्यक्रम का संचालन कवि-गीतकार व समालोचक ओम ने किया।
तजेंद्र सिंह लूथरा कवि, कथेतर लेखक व वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी हैं। उनकी पहली कविता उन्होंने 2008 में 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले के बाद तमाम पुलिसकर्मियों और नागरिकों के शहीद होने के बाद लिखी थी। वह कविता अस्तित्व  के सवालों से भरी थी। आखिर इन पुलिसकर्मियों और नागरिकों के बलिदान के क्या मायने हैं हमारे समय में। तभी एक रात उनके भीतर से एक कविता उमड़ पड़ी थी- मैं आभारी हूं आपका। लूथरा कहते हैं कविता ऐसी होनी चाहिए जो पढ़ने वाले के मर्म तक जाए।
कार्यक्रम के अंत में वाणी प्रकाशन ग्रुप की कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल ने अतिथि वक्ताओं के प्रति आभार प्रकट किया।

तजेंद्र सिंह लूथरा कवि, कथेतर लेखक व वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी हैं। उनका काव्य संग्रह एक नया ईश्वर इन दिनों चर्चा में है।

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