सभा-संगोष्ठी

काव्याटन-3 भोपाल का सफल समापन

अश्रुतपूर्वा II

केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर भोपाल और अश्रुतपूर्वा के संयुक्त तत्वाधान में 12 दिसम्बर को काव्यसंध्या का आयोजन रखा गया।  इस काव्यसंध्या की अध्यक्षता निदेशक प्रो रमाकांत पांडेय जी ने की। विशिष्ठ अतिथि पूर्व सह निदेशक पतंजलि संस्कृत संस्थान भोपाल, से डाॅ सत्यजीत पांडेय जी रहे। काव्यसंध्या का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलन मंगलाचारण एवं माँ सरस्वती की वंदना के साथ हुआ। स्वागत वक्तव्य में संस्थापिका डाॅ सांत्वना श्रीकांत जी ने साहित्य एवं संस्कृति को समर्पित संस्था अश्रुतपूर्वा के उद्देश्य बताते हुए कहा कि- हमारी संस्था साहित्यिक आयोजनों और प्रकाशन के माध्यम से उत्कृष्ठ साहित्य से समाज एवं संस्कृति के संवर्धन हेतु कार्यरत है। मंच का संकल्प अनुभवपगी मुख्यधारा की लेखनियों संग नवोदित लेखनियो को एक साथ एक मंच पर लाना है।

काव्य संध्या में भोपाल शहर के मूर्धन्य कवियों नें काव्य प्रस्तुतियां दीं। ‘रंगसंवाद’ पत्रिका के सह-संपादक एवं युवा कवि मुदित श्रीवास्तव जी की कविता ‘छुवन’- छू लेना प्रेम स्थानान्तरित करने का सबसे सुन्दर ज़रिया है’ ने श्रोताओं को मोह लिया। डी. आई. जी. पुलिस एवं प्रसिद्ध रचनाकार पल्लवी त्रिवेदी जी ने ‘हर विदा ब्रेकअप नही होती’ एवं अन्य प्रस्तुतियां दीं।
उपन्यासकार एवं कवयित्री,टेलीफ़िल्म पटकथा लेखिका सुश्री नीलेश रघुवंशी की कविताएं ‘मुझे प्रेम चाहिए’ ‘उदासी’, ‘आड़ी फ़सल’, ‘आधा प्रेम’, ‘सुन्दरियों’ की प्रभावशाली प्रस्तुति दी। कवयित्री,कथाकार,नाट्यशास्त्रज्ञ,असिस्टेंट प्रोफ़ेसर संगीता गुन्देचा जी कविताएँ अभिषेक, आह्वाहन, श्राप मनोयोग से सुनी गईं। भारतभवन भोपाल के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी प्रेम शंकर शुक्ल जी कविताएँ – ‘बाँस’, ‘घुटने’ तथा अन्य रचनाओं की प्रस्तुतियां प्रभावशाली रहीं। राज्य वित्त एवं लेखा अधिकारी डाॅ राजीव सक्सेना जी ने रचना ‘आज फिर ओस पड़ी’ का वाचन किया। अश्रुतपूर्वा की संस्थापिका डाॅ सांत्वना श्रीकांत कविताएँ ‘अप्राप्य का सुख’, ‘स्त्रियां ने बुद्ध होना नही चुना’ को सराहना मिली। लिली मित्रा ने कविताएँ  ‘बग़ावत’, ‘नदी’, ‘दृष्टिकोण’ का वाचन किया।
अंत में मुख्य अतिथि प्रो रमाकांत पांडेय जी ने अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए सभी प्रबुद्ध कविजनों की प्रस्तुतियों की भूरि-भूरि प्रशंसा की । उन्होने संस्कृत में एक युगबोधीय रचना तथा संस्कृत में गज़ल का पाठ किया। आयोजन का समापन सभागार में उपस्थित विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के एकस्वर शांतिपाठ से हुआ। मंच का संचालन लिली मित्रा ने किया।

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