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भाषाई धरोहर को बचाना होगा : उपराष्ट्रपति

चित्र : साभार गूगल

अश्रुत पूर्वा II

 नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि हमारे प्राचीन साहित्य को युवाओं के करीब लाया जाना चाहिए। इस समय देश की समृद्ध सांस्कृतिक और भाषाई धरोहर को बचाने की जरूरत है। जिस दिन हमारी भाषा भुला दी जाएगी, हमारी संस्कृति भी लुप्त हो जाएगी। उपराष्ट्रपति ने लोगों से आग्रह किया कि इस लिहाज से व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर प्रयास किए जाएं।

पिछले साल अक्टूबर में आयोजित सातवें विश्व तेलुगू साहित्य सम्मेलन पर आधारित एक पुस्तक का डिजिटल विमोचन करते हुए उपराष्ट्रपति ने यह बात कही। पुस्तक को प्रसिद्ध गायक एसपी बालासुब्रमण्यम को समर्पित करते हुए इसके संपादकों, लेखकों और प्रकाशकों को बधाई देते हुए नायडू ने देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए ऐसी और पहल करने का आह्वान किया।

इस अवसर पर नायडू ने कहा कि इंटरनेट और डिजिटल प्रौद्योगिकियों के उभरने से लोगों को भाषाओं के संरक्षण तथा विकास के नए अवसर मिलते हैं। उन्होंने इन प्रौद्योगिकियों के प्रभावी इस्तेमाल की जरूरत बताई। हमारे प्राचीन साहित्य को युवाओं के करीब लाया जाना चाहिए।

  • जिस दिन हमारी भाषा भुला दी जाएगी, हमारी संस्कृति भी लुप्त हो जाएगी। उपराष्ट्रपति ने लोगों से आग्रह किया कि इस लिहाज से व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर प्रयास किए जाएं।

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