अश्रुत पूर्वा संवाद II
नई दिल्ली। सुपरिचित उपन्यासकार से. रा. यात्री (सेवा राम यात्री) का पिछले दिनों 17 नवंबर को निधन हो गया। उन्होंने अपने लेखन से एक अलग पहचान बनाई थी। उन्होंने 32 से अधिक उपन्यास लिखे। लगभग तीन सौ से अधिक कहानियां लिखीं। इसके अलावा व्यंग्य लेखन और साक्षात्कार में भी उनका हस्तक्षेप रहा। यात्री 91 साल के थे। वे काफी समय से उम्र संबंधी बीमारियों से ग्रस्त थे। उनका अंतिम संस्कार हिंडन जन्मस्थली पर संपन्न हुआ। बड़ी संख्या में जुटे लेखकों और अन्य नागरिकों ने उन्हें अंतिम विदाई दी।
से. रा. यात्री का जन्म 10 जुलाई 1932 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के जड़ौदा में हुआ था। बीते पचास साल में उनका लेखन अविस्मरणीय है। लाखों पाठकों ने उन्हें पढ़ा। उन्होंने धर्मयुग, सारिका, साप्ताहिक हिंदुस्तान, कादंबिनी ज्ञानोदय, बहुवचन, साहित्य अमृत, पहल और नई कहानियां जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में बरसों तक लिखा।
यात्री की एक कहानी ‘दूत’ पर दूरदर्शन ने एक टेलीफिल्म बनाई थी। इसके अलावा वे महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा में ‘राइटर इन रेजिडेंट’ के तौर पर कार्यरत रहे। से. रा. यात्री ने बीस साल से भी अधिक समय तक पत्रिका ‘वर्तमान साहित्य’ का सफलता पूर्वक संपादन किया। यात्री का लेखन लोकप्रिय है। उनकी खास रचनाओं में बनते-बिगड़ते रिश्ते, बीच की दरार, लौटते हुए, चांदनी के आर-पार, अनजान राहों का सफर, दराजों में बंद दस्तावेज उल्लेखनीय है।
बड़ी संख्या में जुटे लेखकों और अन्य नागरिकों ने उन्हें अंतिम विदाई दी