अश्रुत पूर्वा संवाद II
नई दिल्ली। हर चेहरा एक मुखौटा है। कलाकार संजय भोला धीर यही कहना चाहते हैं। मुश्किल है उसे पढ़ना और पहचानना। क्योंकि हर मुखौटे के पीछे एक कहानी है। किसी के पीछे वेदना है तो किसी में जीवन का अखंड संघर्ष। इन मुखौटों में देश की बहुरंगी संस्कृति है तो वहीं लुप्त होती मानवीयता को सहेजने की कोशिश। देश-विदेश में ‘मुखौटेवाला’ नाम से विख्यात संजय भोला धीर यही संदेश तो देना चाहते हैं। वे दिल से मुखौटे बनाते हैं और दिमाग तक उतर जाते हैं। आज जब बहुत सारी पारंपरिक कलाएं लुप्त हो रही हैं तो ऐसे दौर में मुखौटा-कला को समृद्ध कर धीर भारत की एक सांस्कृतिक विरासत को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
इन दिनों देश की सांस्कृतिक राजधानी मंडी हाउस के पास ललित कला अकादेमी में समूह कला प्रदर्शनी लगी है। इसी प्रदर्शनी में मुखौटा कलाकार संजय भोला की प्रदर्शनी का सत्रह जनवरी को उद्घाटन किया गया। मुखौटों की यह प्रदर्शनी 23 जनवरी तक चलेगी। इस प्रदर्शनी को देखते हुए आप महसूस कर सकते हैं कि संजय भोला धीर की कला यात्रा उनकी श्रम शक्ति ही नहीं बल्कि उनके संकल्प को भी प्रस्तुत करती है।
ललित कला अकादेमी में प्रदर्शित धीर के मुखौटे जनजातीय संस्कृति के साथ लोक संस्कृति की विविधता प्रस्तुत करते दिखे। किंग शीर्षक से प्रदर्शित मुखौटा एक सर्वश्रेष्ठ मनुष्य के पतन की गाथा भी कहता है। दूसरी ओर देवगुण और रणबांकुरा शीर्षक से रखे गए मुखौटे मनुष्यों को उसकी तेजस्विता की स्मृति कराते हैं। वहीं स्वक्षा शीर्षक से बना मुखौटा बरबस मन मोह लेता है। इसमें संजय भोला धीर की अद्भुत कलाकारी प्रकट हुई है।
धनरति, एकलव्य और तातार शीर्षक से प्रदर्शित मुखौटे याद दिलाते हैं कि हर मनुष्य के भीतर एक योद्धा है। संजय भोला ने त्रिदेव शीर्षक से प्रदर्शित मुखौटे से ध्यान खींचने की कोशिश की है। यह अमूर्त होते हुए मूर्त का भाव देता है। रंगबाज और मनरंगी शीर्षक से बने मुखौटे चित्ताकर्षक हैं। ये मुखौटे कहना चाहते हैं कि खुश रहो और अपना काम करते रहो। कापालिक शीर्षक से बने मुखौटे को देख कर कला प्रेमी ठिठक जाते हैं।
संजय भोला धीर स्क्रैप मेटल से मुखौटे बनाते हैं। इन्हें कलात्मक रूप देते हुए उनमें गहरे भाव भर देते हैं। निश्चित रूप से यह श्रम साध्य है। उनकी व्यापक कला दृष्टि इन मुखौटों में दिखाई देती है। पिछले दिनों उनके मुखौटों की कला प्रदर्शनी जयपुर के जवाहर केंद्र में लगाई गई थी। बता दें कि धीर की कलात्मक अभिरुचियों के लिए साल 2021 में इंडिया बुक आफ रिकार्ड्स में उनका नाम शामिल किया गया था। यही नहीं उन्हें यूनिवर्सिटी आफ यूनाइटेड किंगडम की ओर से शीर्ष सौ वर्ल्ड रिकार्ड होल्डर में भी शामिल किया गया।
कलाकार संजय भोला का कहना है कि संसार में कोई चीज बेकार नहीं। लिहाजा मुखौटे बनाने के लिए वे पुराने कलपुर्जे, मेटल शीट, जालियां, तार, कीलें, टीन के डिब्बे, स्प्रिंग, पुराने बर्तन, टूटे अभूषण, चेन और स्क्रू अदि का प्रयोग करते हैं। उनके कार्यों की सराहना लेखिका तस्लीमा नसरीन, अभिनेत्री र्श्मिला टैगौर, अभिनेता मानव कौल, यशपाल शर्मा आदि कई हस्तियां कर चुकी हैं।