अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली। सरकार ने देश में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए एक उच्चाधिकार संपन्न समिति वनाई है। यह समिति उच्च शिक्षा और स्कूल के स्तर पर भारतीय भाषाओं के अध्ययन को बेहतर बनाने के लिए सलाह देगी। साथ ही यह इसके बहुआयामी विकास का मार्ग भी बताएगी।
भारतीय भाषाओं का समुचित देखभाल नहीं होने से देश ने बीते 50 साल में ही 220 भाषाओं को खो दिया है। आपको बता दें कि यूनेस्को ने 197 भारतीय भाषाओं को लुप्तप्राय घोषित किया है। इस समय स्कूली और उच्च शिक्षा में भारतीय भाषाओं को एकीकृत करने की जरूरत महसूस की जा रही है। ऐसे में भारतीय भाषाओं के लेकर सरकार की यह अहम पहल है।
इस उच्च स्तरीय समिति का अध्यक्ष चामू कृष्ण शास्त्री को बनाया गया है। समिति के सदस्यों में शिक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव (भाषा), मैसूर स्थित केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान के निदेशक और श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति शामिल हैं। समिति के अध्यक्ष के सुझाव पर कुछ और सदस्यों को मनोनीत किया जा सकता है।
भारतीय भाषाओं में शिक्षा एवं शोध को पुनर्जीवित करने और देश में ऐसे विभिन्न संस्थाओं के विस्तार के संबंध में यह समिति मंत्रालय को सुझाव देगी। यह समिति अनुसूचित, खतरे की श्रेणी में आने वाले, गैर-अनुसूचित, जनजातीय एवं शास्त्रीय भाषाओं सहित सभी श्रेणियों की भाषाओं का ध्यान रखेगी। यह भाषा से जुड़े छात्रों के लिए रोजगार के अवसर बेहतर बनाने के रास्ते सुझाएगी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2000 में कहा गया है कि भाषा हमारी कला एवं संस्कृति से अटूट रूप से जुड़ी है। किसी भाषा को बोलने वाला अपने अनुभवों को कैसे समझता है या किस प्रकार से ग्रहण करता है, यह उस भाषा की संरचना से तय होता है।
(स्रोत : एजंसी)
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