अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली। कथक के सरताज बिरजू महाराज का सोमवार तड़के निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली स्थित अपने निवास पर अंतिम सांस ली। आखिरी समय उनके परिवार के लोग और शिष्य मौजूद थे। भारत की अद्भुत नृत्य शैली कथक को उन्होंने न केवल नया आसमान दिया बल्कि इसे दुनिया भर में लोकप्रिय बनाया। इसे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ले जाने में बिरजू महाराज की बड़ी भूमिका रही। वे 83 साल के थे। अगले महीने 84 साल के होने वाले थे। 1983 में उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था।
बताया गया कि रात का भोजन करने के बाद बिरजू महाराज परिवार के साथ अंताक्षरी खेल रहे थे तभी उन्हें कुछ दिक्कत हुई लगी। वे गुर्दा रोग से भी पीड़ित थे। उच्च मधुमेह के कारण पिछले महीने से ‘डायलिसिस’ पर थे। उनकी पोती रागिनी के मुताबिकमहाराज का निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ। वे अंतिम समय में साथ थे। उन्होंने रात का खाना खाया। इसके बाद अंताक्षरी खेल रहे थे, क्योंकि उन्हें पुराना संगीत बहुत पसंद था। तभी उनकी सांसें असामान्य होने लगीं। वे दिल के मरीज भी थे। यह रात में सवा बारह से साढ़े बारह बजे के बीच हुआ। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। अस्पताल पहुंचने से पहले उनकी मौत हो गई।
बता दें कि बृजमोहन महाराज यानी बिरजू महाराज कथक नर्तकों के महाराज परिवार के वंशज थे। उन्होंने अपने पिता गुरु अचन महाराज और चाचा शंभू महाराज और लच्छू महाराज से प्रशिक्षण लिया था। उन्हें संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार, कालीदास सम्मान और ‘विश्वरूपम’ के लिए सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफर और ‘बाजीराव मस्तानी’ के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। बिरजू महाराज को फिल्म उद्योग में खासा आदर मिला। उन्होंने माधुरी दीक्षित को फिल्म ‘देवदास’ के ‘काहे छेड़े मोहे’ गीत और दीपिका पादुकोण को ‘बाजीराव मस्तानी’ के गीत ‘मोहे रंग दो लाल’ के लिए प्रशिक्षित किया था।
कथक सम्राट के निधन की खबर मिलते ही कला, साहित्य और संस्कति जगत शोक में डूब गया। शोक संदेशों का तांता लग गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बिरजू महाराज का निधन पूरे कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।
दिवंगत पंडित जसराज की बेटी, गायिका दुर्गा जसराज ने भारतीय प्रदर्शन कला के लिए बड़ा नुकसान बताया। नर्तकी गीता चंद्रन ने भी महाराज के निधन पर गहरा शोक जताया। नृत्य की दुनिया में उनके योगदान को ऐतिहासिक बताया। माधुरी दीक्षित ने भी शोक जताया और कहा कि उनमें बच्चों जैसी मासूमियत थी।
पंडित बिरजू महाराज लखनऊ के कालका-बिंदादिन घराने से ताल्लुुक रखते थे। वे ठुमरी में भी माहिर थे और उन्होंने सत्यजीत रे की फिल्म ‘शतरंज के खिलाड़ी’ के लिए एक गीत भी गाया था। (स्रोत : एजंसी)
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