अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली। पद्मश्री से सम्मानित कार्टूनिस्ट नारायण देबनाथ का कोलकाता के एक अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वे 97 साल के थे। उनके परिवार के मुताबिक स्वास्थ्य खराब होने पर उन्हें 24 दिसंबर को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तब से वे जीवनरक्षक प्रणाली पर थे। मशहूर कॉमिक पात्र ‘बंतुल द ग्रेट’ के सृजक के रूप में वे हमेशा याद किए जाएंगे।
अपनी 60 साल की रचनात्मक यात्रा में कार्टूनिस्ट देबनाथ ने कई कॉमिक पात्र गढ़े। मगर बंतुल द ग्रेट, हांडा-भोंदा और नोंते फोंते बांगली घरों में जाना पहचाना नाम बन गए। उनके निधन पर प्रधानमंत्री ने शोक जताया है। नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, उनका काम उनकी बौद्धिक ताकत को प्रतिबिंबित करता है। उनके द्वारा गढ़े गए पात्र हमेशा लोकप्रिय रहेंगे। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।
यह उनकी जिजीविषा ही थी कि 93 साल की उम्र तक देबनाथ जी काम करते रहे। वर्ष 2017 में सुकतारा के दुर्गा पूजा संस्करण में उनका आखिरी कॉमिक स्ट्रीप नोंते-फोंते प्रकाशित हुआ। यह खासा चर्चित हुआ।
अपनी 60 साल की रचनात्मक यात्रा में कार्टूनिस्ट देबनाथ ने कई कॉमिक पात्र गढ़े। मगर बंतुल द ग्रेट, हांडा-भोंदा और नोंते फोंते बांगली घरों में जाना पहचाना नाम बन गए। उनके निधन पर प्रधानमंत्री ने शोक जताया है। नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, उनका काम उनकी बौद्धिक ताकत को प्रतिबिंबित करता है। उनके द्वारा गढ़े गए पात्र हमेशा लोकप्रिय रहेंगे। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।
apne patron ke beech Debnath Babu.
फोटो : ट्वीटर से साभार
देबनाथ का जन्म हावड़ा के शिबपुर में एक आभूषण कारोबारी परिवार में हुआ था। बचपन से ही वे गहनों के डिजाइन बनाने में रुचि दिखाते थे। इसी कारण परिवार को स्कूली पढ़ाई के बाद उनका दाखिला कोलकाता के राजकीय कला महाविद्यालय में कराने के लिए प्रेरित किया। मगर परिवार का कारोबार बढ़ाने के लिए देबनाथ ने बीच में ही कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी, लेकिन जल्द ही उन्होंने दोबारा चित्रकारी शुरू कर दी। देबनाथ ने देब साहित्य कुटीर के संपर्क में आने से पहले कुछ विज्ञापन एजंसियों के लिए भी काम किया।
देबनाथ को वर्ष 2021 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया, लेकिन वे इस सम्मान को ग्रहण करने दिल्ली नहीं जा सके। तब राज्य के गृह सचिव बीपी गोपालिका और सहकारिता मंत्री अरुप रॉय ने पिछले दिनों पदक और प्रशस्ति देबनाथजी को अस्पताल में जाकर दिया था। इसके अलावा उन्हें 2013 में साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और उसी साल पश्चिम बंगाल सरकार ने बंग विभूषण से भी सम्मानित किया था। (स्रोत : एजंसी)
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