अश्रुत तत्क्षण

काशी-तमिल संगमम से और पास आएगी उत्तर और दक्षिण की साझी संस्कृति

अश्रुतपूर्वा II

नई दिल्ली। वाराणसी में काशी तमिल संगमम की शुरुआत हो गई है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एम्फी थिएटर ग्राउंड में काशी तमिल संगमम की शुरुआत कराई। यह आयोजन पूरे एक महीने तक चलेगा। इस समागम में तमिलनाडु के तीन केंद्रों से 12 समूहों में लगभग ढाई हजार लोगों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। ऐसा माना जा रहा है कि यह आयोजन उत्तर और दक्षिण की साझी संस्कृति को और पास लाएगा।
काशी-तमिल संगमम कार्यक्रम में भारतीय संस्कृति की इन दो प्राचीन अभिव्यक्तियों के कई पहलुओं पर विद्वानों के बीच अकादमिक आदान-प्रदान, चर्चा और गोष्ठी आयोजित की जाएगी। इम आयोजनों में  दोनों संस्कृतियों के बीच संबंधों और साझा मूल्यों को आगे लाने पर ध्यान दिया जाएगा। बता दें कि इस आयोजन का उद्देश्य ज्ञान और संस्कृति की इन दो परंपराओं को करीब लाना है। साझा विरासत की एक समझ बनाना और इन क्षेत्रों के लोगों के बीच पारस्परिक संबंधों को मजबूत करना है। उम्मीद जताई जा रही है कि तमिलनाडु से आए समूह काशी की ऐतिहासिक महत्ता को समझेंगे। इस दौरान तमिलनाडु की सांस्कृतिक टोलियां भी काशी में अपने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश करेंगी।
यह भी कहा जा रहा कि ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की समग्र रूपरेखा और भावना के तहत आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम प्राचीन भारत और समकालीन एकता को मजबूत करेगा। काशी-तमिल संगमम ज्ञान के विभिन्न पहलुओं-साहित्य, प्राचीन ग्रंथ, दर्शन, आध्यात्मिकता, संगीत, नृत्य, नाटक, योग, आयुर्वेद, हथकरघा, हस्तशिल्प के साथ-साथ आधुनिक नवाचार, व्यापारिक आदान-प्रदान और अगली पीढ़ी की  प्रौद्योगिकी आदि जैसे विषयों पर केंद्रित होगा। इन विषयों पर विचार गोष्ठी और कार्यशाला आदि आयोजित किए जाएंगे। इसमें  संबंधित विषयों के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है। यह आयोजन छात्रों, विद्वानों, शिक्षाविदों और  पेशेवरों के लिए एक अनूठा अवसर होगा। (यह प्रस्तुति मीडिया में आए समाचार पर आधारित)

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