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गौरैया संरक्षण के उपाय खोजने होगे : उषाकिरण खान

फोटो : उषाकिरण खान

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पटना। प्रख्यात साहित्यकार उषाकिरण खान ने पटना में सालों से गौरैया संरक्षण में सक्रिय लेखक और पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार के सहायक निदेशक संजय कुमार की सद्य: प्रकाशित पुस्तक ‘अभी मैं जिंदा हूं ..गौरैया’ का लोकार्पण किया।  

इस मौके पर उषाकिरण खान ने कहा कि संजय कुमार की यह पुस्तक विलुप्त होती नन्हीं गौरैया के संरक्षण की दिशा में मिल का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक जीव का संरक्षण जरूरी है। गौरैया क्यों गुम हुई इसके पीछे खेतों में कीटनाशक का प्रयोग है। तेजी से कंक्रीट के बनते भवन और पानी के अभाव ने उसे हमसे दूर कर दिया है। गौरैया संरक्षण के उपाय हमें खोजने होगे। इस विषय पर संजय कुमार की पुस्तक का आना सुखद है और यकीनन इस संरक्षण की दिशा में कारगर पहल करती नजर आएगी। उन्होंने कहा कि बचपन की साथी गौरैया के संरक्षण से बच्चों और युवाओं को जोड़ना होगा।

पुस्तक के लेखक संजय कुमार ने ‘अभी मैं जिंदा हूं गौरैया’ पुस्तक के बारे में कहा कि इसमें गौरैया से जुड़ी हर बारीक से बारीक जानकारी को तस्वीरों के साथ समेटा गया है। उन्होंने बताया कि गौरैया संरक्षण कैसे किया जाए इसकी विस्तार से चर्चा इसमें की गई है।

चर्चित लेखिका उषाकिरण खान  ने कहा कि प्रत्येक जीव का संरक्षण जरूरी है। गौरैया के गुम होने का कारण खेतों में कीटनाशक का प्रयोग है। तेजी से कंक्रीट के बनते भवन और पानी के अभाव ने उसे हमसे दूर कर दिया है। गौरैया संरक्षण के उपाय हमें खोजने होगे। इस विषय पर संजय कुमार की पुस्तक का आना सुखद है और यकीनन इस संरक्षण की दिशा में कारगर पहल करती नजर आएगी।

इस मौके पर आॅनलाइन जुड़े अतिथि वक्ता डॉ.गोपाल शर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक, जेड.एस.आई.भारत सरकार, पटना ने कहा कि यह पुस्तक बचपन की साथी गौरैया की याद ताजा करती है। उन्होंने कहा कि कभी यह समाज का अभिन्न अंग हुआ करती थी, आज गायब हो रही है। जरूरत है इसके संरक्षण की। ऐसे में इस किताब का आना काफी मायने रखता है।

लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पत्र सूचना कार्यालय के निदेशक दिनेश कुमार ने कहा है कि ‘अभी मैं जिंदा हूं गौरैया’ गौरैया संरक्षण के साथ-साथ समाज हित के लिए किया गया कार्य है। यह किताब दिल के बहुत करीब है। उन्होंने कहा कि गौरैया के साथ सभी का बचपन गुजरा है।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए लेखक एवं पत्रकार डॉ ध्रुव कुमार ने कहा कि घर-आंगन में चहकने-फुदकने वाली गौरैया के संरक्षण को लेकर लिखी पुस्तक को सभी को पढ़नी चाहिए क्योंकि संरक्षण कैसे किया जाए इसमें सहजता के साथ बताया गया है। उन्होंने कहा कि पुस्तक में गौरैया की विभिन्न मनमोहक तस्वीरें ध्यान खींचती हैं जिसे लेखक ने खुद खिंची है। पत्रकार डॉ. लीना ने उम्मीद जताई कि किताब के माध्यम से गौरैया संरक्षण का अभियान दूर-दूर तक पहुंचेगा। मौके पर ‘पर्यावरण योद्धा’ के अध्यक्ष निशांत रंजन ने उषा किरण खान को गौरैया घोंसला भेंट किया।

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