अश्रुत पूर्वा II
मुंबई। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई का शिवाजी पार्क। अंदर तो भीड़ है ही, बाहर भी लंबी कतार है। सबकी आंखें नम हैं क्योंकि सुरों की माला बिखर गई है। आज शाम हर कोई अपनी प्रिय गायिका का दर्शन कर लेना चाहता है। हर कोई उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देना चाहता है। मगर यह मुमकिन नहीं हो पा रहा। पार्क में पुष्पों से सज्जित शैया पर लता जी चिर निद्रा में सो रही हैं। अब वे कभी नहीं गाएंगी।
भारत रत्न लता मंगेशकर को अंतिम विदाई देने के लिए तमाम बड़े नेता और अन्य विशिष्ट जन उमड़ पड़े हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे। उनके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सहित तमाम हस्तियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। महान क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर से लेकर बालीवुड के दिग्गज अभिनेता शाहरुख खान और आमिर खान से लेकर हिंदी सिनेमा के तमाम लोग आदरांजलि देने आए।
इस दौरान शिवाजी पार्क में बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। रविवार को अमूमन मुंबई की सड़कों पर भीड़ नहीं होती है। मगर आज ऐसा नहीं था। लोग उदास थे। इससे पता चलता था कि लता जी के गीतों का लोगों के जीवन में कितना महत्व था। उन्हें सुनते हुए तमाम लोग जवान हुए। लता दी के मधुर गीतों में डूब कर जाने कितने लोगों के जीवन की शाम ढल गई।
शिवाजी पार्क का माहौल गमगीन था। लोग भाव विह्वल थे। अंत में सेना के जवान लता दी के पार्थिव देह को पूरे सम्मान के साथ उस जगह ले गए, जहां उन्हें पंच तत्व में विलीन होना था। सेना ने राजकीय सम्मान के साथ उन्हें विदाई दी। जवानों ने शोक धुन बजाया और शस्त्र उलटे कर दिए। इसके बाद पार्थिव देह से तिरंगे को हटाया गया और लता जी के परिजनों को सौंपा गया। फिर वैदिक रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू हुई।
इस दौरान शाम ढल चुकी थी। लता जी के हमेशा के लिए जाने के शोक में नीला आसमान काला पड़ चुका था। वह भी जल्दी सोने चला गया। पार्श्व में बस यही गीत था, तुम मुझे यूं भुला न पाओगे। सचमुच सत्तर-अस्सी साल की सुरों की यात्रा को अंतिम मंजिल मिल गई थी। मगर सच ये है के हमारे दिलों में लता जी के सुरों की यात्रा अनवरत चलती रहेगी। गूंजती रहेगी यह आवाज- मेरी आवाज ही पहचान है, गर याद रहे।
अश्रुत पूर्वा भारत रत्न लता मंगेशकर को श्रद्धाजलि अर्पित करता है।
भारत रत्न लता जी को श्रद्धाजलि